अयोध्या हवाई अड्डे को अब महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्‍याधाम के नाम से जाना जाएगा. केंद्रीय कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को शुक्रवार को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की इस बैठक में इस एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने का भी फैसला किया गया है. बता दें कि महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का 30 दिसंबर को उद्घाटन किया गया था. 

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान में बताया गया है कि अयोध्या की आर्थिक क्षमता और वैश्विक तीर्थ स्थल के रूप में इसके महत्व को समझने, विदेशी तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए दरवाजे खोलने के लिए हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा देना जरूरी है. वहीं महर्षि वाल्मिकी को श्रद्धांजलि देते हुए इस एयरपोर्ट को अब अयोध्‍या के हवाई अड्डे को महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से जाना जाएगा. बता दें कि महर्षि वाल्मिकी ने ही महाकाव्य रामायण की रचना की थी. ऐसे में उनका नाम जुड़ने से हवाई अड्डे की पहचान में एक सांस्कृतिक स्पर्श जुड़ गया.

बता दें कि अत्याधुनिक हवाई अड्डे के पहले चरण को 1450 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से विकसित किया गया है. हवाई अड्डे के टर्मिनल भवन का क्षेत्रफल 6500 वर्गमीटर होगा, जो सालाना लगभग 10 लाख यात्रियों की सेवा के लिए सुसज्जित होगा. टर्मिनल भवन का अग्रभाग अयोध्या के आसन्‍न श्रीराम मंदिर की वास्तुकला को दर्शाता है. टर्मिनल भवन के अंदरूनी हिस्सों को भगवान श्रीराम के जीवन को दर्शाने वाली स्थानीय कला, पेंटिंग और वॉल पेटिंग्स से सजाया गया है. 

इसके अलावा अयोध्या हवाई अड्डे का टर्मिनल भवन कई तरह की सुविधाओं से सुसज्जित है, जैसे इन्सुलेशन छत प्रणाली, एलईडी प्रकाश व्यवस्था, वर्षा जल संचयन, फव्वारे के साथ भूनिर्माण, जल उपचार संयंत्र, सीवेज उपचार संयंत्र, सौर ऊर्जा संयंत्र तथा ऐसी कई अन्य सुविधाएं प्रदान की गई हैं. ये सभी सुविधाएं गृह - 5 स्टार रेटिंग के अनुरूप हैं.