Bhikaji Cama Birthday: भीकाजी रुस्तम कामा (मैडम भीकाजी) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थी जिन्होंने 1907 में पहली बार विदेशी धरती पर भारतीय झंडा फहराया था.  वे एक उत्साही स्वतंत्रता कार्यकर्ता होने के साथ-साथ महिला के अधिकारों के लिए आगे आने वाली महिला थी. भीकाजी कामा को 'भारतीय क्रांति की जननी' के रूप में भी जाना जाता है. काफी मेहनती छात्रा थी भीकाजी कामा भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर, 1861 को सोराबजी फ्रामजी पटेल और उनकी पत्नी जयजीबाई सोराबाई पटेल के यहां हुआ था. उनके पिता पेशे से एक व्यापारी थे, हालांकि वे पारसी समुदाय के प्रभावशाली सदस्य होने के साथ-साथ कानून में प्रशिक्षित थे. भीकाजी की पढ़ाई एलेक्जेंड्रा गर्ल्स इंग्लिश इंस्टीट्यूशन से हुयी थी. वे एक बहुत मेहनती छात्रा थी.अगस्त 1885 को भीकाजी की शादी रुस्तम कामा से की गई. पेरिस इंडियन सोसाइटी की स्थापना की भीकाजी कामा अपना अधिकांश समय सामाजिक कार्यों में व्यतीत करती थी. लंदन की अपनी यात्रा के दौरान, भीकाजी कामा श्यामजी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आई श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय राष्ट्रवादी थे जो कि अपने भाषणों के लिए जाने जाते थे. जिसके बाद भीकाजी कामा पेरिस गई जहां उन्होंने पेरिस इंडियन सोसाइटी की स्थापना की. विदेश में फहराया स्वतंत्रता का ध्वज भीकाजी कामा ने 1907 में जर्मनी के स्टटगार्ट में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के विनाशकारी प्रभावों के बारे में विस्तार से बात की. इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए. इस घटना के दौरान भीकाजी कामा ने "स्वतंत्रता का ध्वज" फहराया. इस ध्वज को भीकाजी कामा और साथी कार्यकर्ता विनायक दामोदर सावरकर ने डिजाइन किया था. विदेशों में भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में बनाया माहौल 1909 में विलियम हट कर्जन वायली की हत्या के बाद, लंदन के अधिकारियों ने वहां रहने वाले भारतीय राष्ट्रवादियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया. भीकाजी कामा उस समय पेरिस में थी. उन्होंने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया था. वर्ष 1896 में मुंबई में प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की थी. इसी दौरान उन्हें लगवा हो गया था. इलाज के बाद वह ठीक हो गई थीं लेकिन उन्हें आराम और आगे के इलाज के लिए यूरोप जाने की सलाह दी गई. 13 अगस्त 1936 को पारसी जनरल अस्पताल में 74 साल की उम्र में निधन हो गया.