अब तो शरबती गेंहू को भी मिल गया GI Tag, फिर बासमती चावल का मामला कहां फंसा है?
GI Tag के जरिए किसी चीज पर मुहर लगती है वो चीज आधिकारिक तौर पर कहां से ताल्लुक रखती है. भारत का बासमती चावल भी इस टैग का लंबे समय से इंतजार कर रहा है.
मध्यप्रदेश के सीहोर का शरबती गेहूं सोने की तरह चमकता है और स्वाद में काफी अच्छा माना जाता है. इसका भाव भी गेहूं की अन्य किस्मों से कहीं ज्यादा होता है. बाजार में इस गेहूं की अच्छी खासी डिमांड रहती है. इस गेहूं को हाल ही में GI Tag दिया गया है. GI Tag के जरिए किसी चीज पर मुहर लगती है वो चीज आधिकारिक तौर पर कहां से ताल्लुक रखती है. भारत का बासमती चावल भी इस टैग का लंबे समय से इंतजार कर रहा है, लेकिन ये आज तक कागजी लड़ाई में उलझा हुआ है. जानिए आखिर बासमती चावल का मामला कहां फंसा है.
लाजवाब खुशबू के लिए प्रसिद्ध है बासमती चावल
दरअसल बासमती चावल को उसकी लाजवाब खुशबू के लिए जाना जाता है. भारत बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में इसकी खेती की जा रही है. तमाम इतिहासकार मानते हैं कि भारत में बासमती चावल की पैदावार प्राचीन समय से की जा रही है. एरोमैटिक राइसेस किताब में यह दावा किया गया कि हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की खुदाई में इसके प्रमाण मिले हैं. लेकिन फिर भी भारत के बासमती चावल को आज तक जीआई टैग नहीं मिल पाया है और इसकी बड़ी वजह है पाकिस्तान.
पाकिस्तान की वजह से फंसा है मामला
दरअसल बासमती चावल की सबसे ज्यादा पैदावार भारत में जरूर होती है, लेकिन आजादी के बाद जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब से पाकिस्तान भी इसकी पैदावार कर रहा है. इस तरह ये चावल भारत के साथ-साथ पाकिस्तान की भी अर्थव्यवस्था का जरूरी हिस्सा है. लिहाजा जब कुछ साल पहले भारत ने यूरोपियन यूनियन में बासमती चावल को GI Tag देने के लिए आवेदन किया था, तो पाकिस्तान ने इस पर कड़ा एतराज जताया.
पाकिस्तान ने कहा कि बासमती चावल उसकी जमीन पर भी उगता है. अगर भारत को बासमती चावल के लिए GI Tag दिया गया तो उसके बासमती चावल निर्यात पर असर पड़ सकता है और उससे उसके किसानों की आजीविका प्रभावित हो सकती है. 7 दिसम्बर 2020 को पाकिस्तान ने ईयू में भारतीय दावों के खिलाफ नोटिस दिया. इसके साथ ये भी कहा गया कि यूरोपियन यूनियन जीआई टैग देने वाली संस्था नहीं है. मामला आगे बढ़ा तो यूरोपियन यूनियन ने यह निर्देश दिया कि दोनों देश यह मामला आपस में सुलझा लें. तब से अब तक इस समस्या का पुख्ता हल नहीं निकल पाया है और आज भी भारत का बासमती राइस जीआई टैग के इंतजार में है.
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