सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक क्षेत्र के 3 बैंकों के विलय पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया. सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन आने वाले देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय 1 अप्रैल से प्रभावी होने वाला है. विलय होने वाले 2 बैंकों के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति विनीत सरण की पीठ ने अपने आदेश में कहा, "रोक लगाने का कोई आधार नहीं."

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याचिकाकर्ता कर्मचारियों और अधिकारियों के एसोसिएशनों की ओर से पेश हुए वकील श्याम दीवान ने विलय के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने दलील देते हुए कहा कि जिस तरीके से विलय हुआ है उससे वैधानिक योजना और सुरक्षा के साथ पूरी तरह छल हुआ है. उन्होंने कहा कि विलय से दो बैंकों के कर्मचारियों व अधिकारियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. 

वरिष्ठ वकीज मुकुल रोहतगी और महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि निदेशक मंडल में कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व नहीं होने से विलय की प्रक्रिया किसी प्रकार से बाधित नहीं होती है. मेहता ने कहा कि विलय होने वाले देना बैंक और विजया बैंक के कर्मचारियों की सेवा शर्तो में कोई बदलाव नहीं होगा.