गर्मी शुरू होते ही देश के कई इलाकों में पानी का संकट खड़ा हो गया है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कुछ स्थान ऐसे हैं जहां पीने के पानी के लिए लोगों को पूरे दिन कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. पानी की किल्लत से निपटने के लिए समाज, सरकार तथा गैर सरकारी संगठनों का सहयोग जरूरी है और कहीं-कहीं पर यह देखने में आया है कि सामाजिक सहयोग से सूखे से जूझते इलाके में मीठे पानी के चश्मे फूटने लगे हैं. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऐसा ही एक जिला राजस्थान का धौलपुर है. धौलपुर जिले के टोनाटरी गांव के लोग लंबे समय से पानी के संकट से जूझ रहे थे. वे रोजी-रोटी के साथ-साथ पीने के पानी के लिए भी संघर्ष कर रहे थे क्योंकि खाना पकाने, सिंचाई करने, पशुओं के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं था. पानी की किल्लत ग्रामीणों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई थी. पानी की कमी के चलते इलाके से पलायन भी तेजी से हो रहा था.  

सामाजिक संगठन आगे आए

इलाके में पानी की समस्या को दूर करने के लिए कुछ सामाजिक संगठन सामने आए. इनमें लुकाइन ह्यूमन वेलफेयर एंड रिसर्च फाउंडेशन, राजपुताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री और कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन, आनंदना के सीएसआर शाखा शामिल थीं. इनकी अगुवाई में यहां एक एकीकृत वाटरशेड परियोजना और चार चिनाई वाले चेक-डैम है तैयार किए गए. 

चेक-डैम से पानी के स्तर में सुधार

चेक डैम बनने से बरसात का पानी इनमें इकट्ठा होने लगा. देखते ही देखते कुछ ही सालों में यहां पानी एक विशाल भंडार बन गया. जमीन का जल स्तर ऊपर आ गया. पानी का स्तर बढ़ने के साथ ही सूखे पड़े इलाके में फिर से हरियाली लहलाहने लगी. आज यहां 6.5 किमी लंबाई का एक विशाल जल भंडार बनाया है. 

जीवन स्तर में आया सुधार

पानी की समस्या खत्म होने से यहां लोगों की आमदनी भी बढ़ने लगी. खेतों में फिर से तमाम फसलें होने लगीं. पशुओं को मीठा पानी और हरा चारा मिलने लगा. जो लोग पानी और काम की समस्या को लेकर इलाका छोड़ने का मन बना रहे थे अब वे गांव में ही रहकर अपने परिवार का लालन-पालन कर रहे हैं.

इसने ग्रामीणों को पीने, खाना पकाने, पशुओं को खिलाने और खेती के लिए पानी की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया है। यह परियोजना लोगों को पांच गांवों में पानी की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर रही है।

आनंदना के बारे में

2008 में स्थापित, कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन, आनंदना, पानी, पर्यावरण, स्वस्थ्य और सामाजिक उन्नति से संबंधित मुद्दों पर ध्यान लगातार काम कर रही है. आनंदना द्वारा अब तक 600 से अधिक गांवों में लोगों के जीवन स्तर में सुधार पर काम किया जा चुका है.