विज्ञापनों ने अपने ब्रांड को पहुंचाया नुकसान, कभी पुरुषों का उड़ाया मजाक, कभी सामाजिक मर्यादा लांघ दी-रिपोर्ट
Advertising Standards Council Of India: कई ब्रैंड ऐसे हैं, जिनके advertisement को देखने वाले कई भारतीयों को creativity के नाम पर आस्था से जुड़ी चीजों का मज़ाक़ उड़ते देख कर ग़ुस्सा आया.
Advertising Standards Council Of India: ASCI की रिसर्च के अनुसार भारतीयों को कुछ एड्स देखकर बेहद ग़ुस्सा आता है. इन एड्स में ख़ास तरह का एक Behavioural Pattern होता है जो ब्रैंड को फ़ायदा पहुंचाने की बजाय नुकसान ज़्यादा पहुंचाते हैं. मसलन, वो एड्स जिन में पुरूषों का मज़ाक़ उड़ाया जाता है. Cars 24, Pepperfry, Lions gate- इन brands के जो एड हैं, उनमें पतियों या बॉय फ्रेंड का मज़ाक़ उड़ाया गया है, जिसे देखकर ज़्यादातर पुरूषों की रूची इसके प्रोडक्ट ख़रीदने में कम हुई.
वो एड्स जिनसे धार्मिक भावनाओं को खेद पहुंचता है
ICICI banking business, Manyavar, wonder cement, Fevicol- इन ब्रैंड की advertisement को देखने वाले कई भारतीयों ऐसे हैं, जिनको creativity के नाम पर इस एड को देख गुस्सा आया है, क्योंकि लोगों का मानना है कि इन एड्स में आस्था से जुड़ी चीजों का मज़ाक़ उड़ते हुए दिखाया गया है.
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ऐसी एड फ़िल्में जिनमें सच्चाई क्रूर तरीके से बताई जा रही है
Stay free, policy bazaar, licious- इन ब्रैंड की एड में खून, मीट या मौत से जुड़ी बातों का खुलेआम ज़िक्र देखना देश में लोगों को रास नहीं आया.
सामाजिक मर्यादा की सीमा लांगने वाली एड फिल्में
Amul machi, Bingo mad angles, Kwality walls- ASCI कि रिपोर्ट के मुताबिक, इन प्रोडक्ट्स की एड में रिश्तों का मज़ाक़ उड़ाना और आदर सम्मान की सीमा लांगना भारतीय परिवारों को देखना अच्छा नहीं लगा.
बच्चों की मानसिकता को प्रभावित करने वाली Adult content वाली advertisements
Crax, Parle Kisme, sebamed baby bath- कई भारतीयों की माने, तो एड फ़िल्म में जब रोमांस, pregnancy या delivery ऐसे तरीक़े से दर्शाई जाए कि छोटा बच्चा uncomfortable सवाल पूछे तो ऐसी ads को देखकर भी भारतीय परिवारों को ग़ुस्सा आता है.
वो Ad films जो समाज में गलत संदेश दे रही हैं
White hat Jr, Levi’s denims, cred, ziddi perfume, Kia motors, सिर्फ कोडिंग सीखने वाले बच्चों का भविष्य सुनहरा है या फिर राहुल द्रविड़ का गुस्से में कार का शीशा तोड़ना सही ठहराना, महिलाओं की बॉडी को एंगल्स में दिखाना- समाज में गलत चीज़ को सही बता कर उसे advertise करते हुए देखना कई लोगों को कतई पसंद नहीं आया.
ASCI ने सभी ब्रांडों से उम्मीद जताई है की उनकी स्टडी को seriously लेते हुए शायद ब्रैंड सही तरीके से अपने प्रोडक्ट advertise करें, ताकि लोग advertisement से सेल बढ़ाए न कि अपना ग़ुस्सा.