Zinc Demand: स्टील सहित इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी निवेश से अगले 5 से 10 साल में देश में जस्ता की मांग दोगुना हो जाने की उम्मीद है. अंतरराष्ट्रीय जस्ता संघ ने यह बात कही. भारत में जिंक की मांग काफी हद तक स्टील मार्केट की बढ़ोतरी पर निर्भर करती है, क्योंकि इसका उपयोग मुख्य रूप से इस्पात (Steel) को जंग से बचाने के लिए किया जाता है. जिंक की मांग दोगुनी होने से हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को फायदा होगा. यह जस्ता, सीसा, चांदी और कैडमियम का एक भारतीय एकीकृत खनन और संसाधन उत्पादक है. यह वेदांत लिमिटेड की सहायक कंपनी है.

जस्ता के लिए मांग दोगुनी होने की उम्मीद

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अंतरराष्ट्रीय जस्ता संघ के वैश्विक निदेशक मार्टिन वान लियूवेन ने कहा, मुझे अगले 5 से 10 साल में जस्ता के लिए मांग दोगुनी होने की उम्मीद है. भारत में प्राथमिक और परिष्कृत जस्ता बाजार वर्तमान में 800 से 1,000 टन सालाना के करीब है और हम भारत में जो विकास देख रहे हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि इसमें बढ़ोतरी का एक शानदार अवसर है.

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800 से 1,000 टन प्रति वर्ष मांग

उन्होंने कहा, हम अतिरिक्त इस्पात क्षमता में भारी निवेश देख रहे हैं और…इस्पात को अभी भी ‘गैल्वेनाइज्ड कोटिंग्स’ द्वारा संरक्षित करने की जरूरत है. हम देखते हैं कि नई गैल्वनाइजिंग लाइन के लिए बहुत सारी योजनाएं और निवेश चल रहे हैं. इसलिए मुझे भारत में जस्ता की मांग बढ़ने की उम्मीद है. भारत में जिंक की मौजूदा मांग 800 से 1,000 टन प्रति वर्ष है.

उन्होंने कहा कि भारत में जस्ता उपयोगकर्ता बहुत कम हैं. देश में इसकी प्रति व्यक्ति खपत लगभग आधा किलोग्राम है और यह वैश्विक औसत से काफी कम है उन्होंने कहा, अगर आप भारत में जस्ता के उपयोग को देखें, तो यह प्रति व्यक्ति लगभग आधा किलोग्राम है. वहीं इसका वैश्विक औसत 4 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है. वहीं दक्षिण कोरिया, यूरोप, अमेरिका जैसे विकसित देशों में यह 6 से 7 किलोग्राम तक जा सकता है.

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चालू कैलेंडर साल के लिए जस्ता क्षेत्र के आउटलुक पर उन्होंने कहा कि दुनिया ग्रीन ऊर्जा (Green Energy) की ओर स्थानांतरित हो रही है. सोलर फोटोवोल्टिक (PV) में मजबूत बढ़ोतरी देखी जा रही है. ऐसे में 2024 जस्ता क्षेत्र के लिए काफी बड़ा अवसर है.