WPI Inflation: फूड ऑर्टिकल्स, फ्यूल और मैन्यूफैक्चर्ड आइटम्स की कीमतों में आई नरमी से सितंबर में लोगों को थोक महंगई से थोड़ी राहत मिली. थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (WPI) सितंबर में लगातार चौथे महीने गिरकर 10.7 फीसदी पर आ गई. अगस्त माह में WPI 12.41 फीसदी और पिछले साल नवंबर में यह 11.80 फीसदी थी.  इस साल थोक मूल्य सूचकांक (WPI) मई माह में अपने रिकॉर्ड 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी. हालांकि यह लगातार 18वां महीना है जब WPI डबल डिजिट में है.

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किस कैटिगरी में कितनी मिली महंगाई से राहत?

मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर में फूड ऑर्टिकल्स अगस्त के 9.93 फीसदी के मुकाबले गिरकर 8.08 फीसदी पर आ गई. वहीं प्रायमरी ऑर्टिकल्स पिछले महीने के 14.93 फीसदी के मुकाबले गिरकर 11.73 फीसदी पर आ गए. ऐसे ही फ्यूल एंड पॉवर भी पिछले महीने के 33.67 फीसदी के मुकाबले 32.61 फीसदी और मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स 7.51 फीसदी के मुकाबले गिरकर 6.34 फीसदी पर आ गए.

एक ऑफिशियल स्टेटमेंट के मुताबिक सितंबर 2022 में महंगाई पिछले साल के इसी महीने की तुलना में मुख्य रूप से खनिज तेलों, खाद्य पदार्थों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, रसायन और रासायनिक उत्पादों, बुनियादी धातुओं, बिजली, वस्त्र आदि की कीमतों में तेजी से भागी है. 

रिटेल इंफ्लेशन का क्या है हाल?

बता दें कि दो दिन पहले आए खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) सितंबर में बढ़कर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई है. यह लगातार नौवां महीना है जह रिटेल इंफ्लेशन RBI द्वारा तय किए गए अपर लिमिट 6 फीसदी से ऊपर है. खाने पीने के समान की भी महंगाई सितंबर माह में पिछले महीने के 7.6 फीसदी से बढ़कर 8.6 फीसदी पहुंच गई है.

रिजर्व बैंक ने बढ़ाई ब्याज दरें

गौरतलब है कि RBI अपनी मौद्रिक नीतियों को तैयार करने के लिए रिटेल इंफ्लेशन को ही ध्यान में रखना है. बढ़ती महंगाई को काबू में रखने के लिए पहले ही केंद्रीय बैंक ने चार बार ब्याज दरों को बढ़ा दिया है. Repo Rate आज के समय में 5.90 फीसदी है, जो कि अप्रैल 2019 के बाद सबसे अधिक है.