भारतीय मौसम विभाग ने मॉनसून का पहला अनुमान जारी कर दिया है. IMD के मुताबिक, इस साल अलनीनो का खतरा नहीं है. मॉनसून सीजन के दौरान अल नीनो कमजोर पड़ेगा. इससे देश में सामान्य बारिश होने की संभावना है. पूरे सीजन लंबी अवधि के औसत की 96 फीसदी बारिश होने का अनुमान है. पिछले सीजन में भी मौसम विभाग ने 97 फीसदी बारिश होने का अनुमान जताया था. वहीं, पिछले साल अच्छी बारिश हुई थी. सामान्य मॉनसून का रहना किसानों के लिए फायदेमंद है. खरीफ फसलों की बुआई के लिए उन्हें पर्याप्त पानी मिलेगा. डिमांड में तेजी आएगी.

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कैसे तय होता है मॉनसून

मौसम विभाग मॉनसून की स्थिति में पिछले 50 साल की लंबी अवधि के औसत के अनुसार जांचता है. सामान्य, औसत या फिर अच्छे मानसून का मतलब है कि 50 साल की लंबी अवधि के औसत का लगभग 96 फीसदी से 104 फीसदी बारिश का होना. पिछले 50 साल में औसत बारिश चार महीनों के मॉनसून के दौरान 89 सेंटीमीटर अथवा 35 इंच रही है. अच्छे मानसून की यह परिभाषा मौसम विभाग द्वारा दी गई है. वहीं, 90 फीसदी से कम बारिश होने पर देश में सूखे की स्थिति रहती है.

मॉनसून का इकोनॉमी पर असर

मॉनसून का सबसे ज्यादा असर ग्रामीण आबादी पर होता है. किसानों के लिए मॉनसून का सामान्य और अच्छा रहना काफी बेहतर माना जाता है. इस दौरान फसल को जितना पानी चाहिए होता है, वह मॉनसून से ही पूरा होता है. मॉनसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है. ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है. देश के कई आर्थिक आंकड़ों में सुधार देखने को मिलता है. वहीं, महंगाई के क्षेत्र में भी राहत देखने को मिलती है.

बैंकिंग सेक्टर के लिए भी फायदेमंद

देश में अच्छे मॉनसून से बैंकिंग सेक्टर को भी मजबूती मिलती है. खरीफ के सीजन में किसान भी फसल के लिए कर्ज लेता है. यह कर्ज सरकारी, को-ऑपेरेटिव बैंक और ग्रामीण बैंकों से लिया जाता है. अच्छा मॉनसून रहने से बैंकों को अपना कर्ज वापस मिलने की गारंटी मिल जाती है. कर्ज का पैसा वापस मिलने से NPA काबू करने में मदद मिलती है. वहीं, किसानों की बढ़ी आमदनी से भी बैंकों की ग्रामीण शाखाओं के खाते में अच्छी सेविंग्स मिलती है. 

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मॉनसून का शेयर बाजार पर असर

मॉनसून का सीधा कनेक्शन खपत से होता है. इसलिए अच्छा मॉनसून रहने की स्थिति में कंजप्शन बेस्ड सेक्टर में तेजी से डिमांड बढ़ती है. इस सीजन में खरीद की क्षमता बढ़ने से कृषि उपकरण निर्माता, टू-व्हीलर्स और ट्रैक्टर निर्माता कंपनियों को अच्छी कमाई की उम्मीद रहती है. वहीं, केमिकल्स, फर्टिलाइजर्स और एफएमसीजी कंपनियों को भी आय बढ़ने की उम्मीद होती है. बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर को भी ग्रामीणों की आय और कर्ज वापसी का फायदा मिलता है. अच्छे मॉनसून से तमाम सेक्टर्स की कंपनियों के शेयरों में तेजी आती है, जिसका सीधा फायदा शेयर बाजार को मिलता है.