सोने के बिना शायद ही भारत में कोई पारिवारिक समारोह होता हो. इसके साथ ही यह उनलोगों के लिए निवेश का सबसे बड़ा माध्‍यम है जो औपचारिक फाइनेंशियल सिस्‍टम से दूर हैं. इन्‍हीं कारणों से भारत विश्‍व में सबसे ज्‍यादा सोने की खपत करने वाला देश है. सवाल यह उठता है कि आखिर लोग सोने की तस्‍करी क्‍यों करते हैं जब वैध तरीके से यह उपलब्‍ध है? सोने की तस्‍करी के कई कारण हैं लेकिन आज हम चर्चा करेंगे कुछ प्रमुख वजहों की.

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सोने पर लगती है 10% इंपोर्ट ड्यूटी

भारत में अभी सोने के आयात पर 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगती है. इसके अलावा, 3 फीसदी का वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) भी लगाया जाता है. एसएमसी कॉमट्रेड की रिसर्च हेड वंदना भारती कहती हैं कि सोने के तस्‍कर इंपोर्ट ड्यूटी का बिना भुगतान किए इसे देश में लाते हैं इसलिए वह इस पर मोटा मुनाफा कमाते हैं. देश में सोने की तस्‍करी की मुख्‍य वजह भी यही है.

एक नजर भारत में सोने की ऐतिहासिक मांग पर

विनिमय दरों में फर्क भी सोने की तस्‍करी की है वजह

ज्‍यादातर मामलों में आपने देखा होगा कि सोने की तस्‍करी खाड़ी के देशों जैसे दुबई, शारजाह आदि से की जाती है. इसकी वजह है विनिमय दर. सोने की कीमतें वहां की मुद्रा में कम होती हैं जबकि भारत में इसके लिए अधिक कीमत चुकानी होती है. इसलिए, विदेश से आने वाले भारतीय वहां की स्‍थानीय मुद्रा की तुलना में कानूनी तौर वैध परिमाण से ज्‍यादा मात्रा में सोना लाते हैं यानी सोने की तस्‍करी करते हैं ताकि विनिमय दर का जोखिम नहीं हो और इंपोर्ट ड्यूटी भी बच जाए.