पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों और डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरते स्तर का असर आम आदमी की जेब पर साफ देखा जा रहा है. खाने-पीने तथा रोजाना इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं की कीमतों में इजाफा हुआ है. बढ़ती महंगाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुदरा महंगाई के बाद अब थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) महंगाई दर बढ़कर 5.13 फीसदी हो गई है. सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में थोक महंगाई दर 4.53 फीसदी थी.

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बीते साल इसी महीने यह आंकड़ा 3.14 फीसदी था. अगर बीते साल की तुलना की जाए तो थोक महंगाई दर में लगभग दो फीसदी का इजाफा हुआ है. 

खुदरा महंगाई भी बढ़ी

पेट्रोलियम ईंधन और खाने-पीने के सामान के दामों में बढ़ोतरी होने से खुदरा महंगाई में भी तेजी देखने को मिली थी. बीते महीने में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 3.77 फीसदी हो गई थी, जबकि अगस्त में यह दर 3.69 फीसदी थी. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि के लिए 4 फीसदी खुदरा महंगाई का लक्ष्य रखा है. 

रसोई पर दोहरी मार

महंगाई दर में इजाफे का सबसे ज्यादा असर खाने-पीने के सामान पर देखने को मिल रहा है, जिसके चलते आम आदमी का रसोई का बजट बढ़ गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक  (Wholesale Price Index) में सितंबर के महीने में .60 फीसदी का इजाफा हुआ है. खाने-पीने की चीजों में यह सूचकांक 0.14 फीसदी हो गया. दाल और आलू की थोक महंगाई में भी काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. 

औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती

महंगाई की मार का आलम यह है कि वस्तुओं के उत्पादन तक पर इसका असर हो रहा है. औद्योगिक उत्पादन में काफी कमी देखी गई है. अगस्त महीने में आईआईपी घटकर 4.3 फीसदी हो गया.