रुपये ने 81.55 प्रति डॉलर का रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ, Rupee में कमजोरी से बढ़ेगी महंगाई, कच्चे तेल और कमोडिटी का आयात होगा महंगा
Rupee vs Dollar: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.55 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल (Crude Oil) और अन्य कमोडिटी का आयात महंगा हो जाएगा जिससे मुद्रास्फीति और बढ़ जाएगी.
Rupee vs Dollar: रुपया सोमवार (26 सितंबर 2022) को रिकॉर्ड नए निचले स्तर पर लुढ़क गया. आज डॉलर के मुकाबले रुपया 56 पैसे की कमजोरी के साथ खुला. इसने 81.55 प्रति डॉलर का निचला स्तर छुआ. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 81.55 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर जाने से कच्चे तेल (Crude Oil) और अन्य कमोडिटी का आयात महंगा हो जाएगा जिससे मुद्रास्फीति और बढ़ जाएगी. महंगाई पहले से ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकतम सुविधाजनक स्तर छह फीसदी से ऊपर बनी हुई है.
रेपो रेट में 0.50% की हो सकती है बढ़ोतरी
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को बार-बार बढ़ाने से भारतीय रुपये पर बना दबाव व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पूंजी की निकासी की वजह से और बढ़ने की आशंका है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस सप्ताह के अंत में द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाली है. इसमें मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए वह रेपो दर में 0.50% की बढ़ोतरी का फैसला कर सकती है.
खाने के तेल का आयात होगा महंगा
मिल मालिकों के संगठन सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि इससे आयातित खाद्य तेलों की लागत बढ़ जाएगी. इसका भार अंतत: उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. अगस्त 2022 में वनस्पति तेल का आयात पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 41.55 फीसदी बढ़कर 1.89 अरब डॉलर रहा है.
अगस्त में व्यापार घाटा दोगुना हुआ
क्रूड ऑयल का आयात बढ़ने से अगस्त में भारत का व्यापार घाटा अगस्त में दोगुना से अधिक होकर 27.98 अरब डॉलर हो गया. इस वर्ष अगस्त में पेट्रोलियम, कच्चे तेल एवं उत्पादों का आयात सालाना आधार पर 87.44 फीसदी बढ़कर 17.7 अरब डॉलर हो गया.
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, कमोडिटीज के दामों में कमी का मुद्रास्फीति पर जो अनुकूल असर पड़ना था वह रुपये में गिरावट की वजह से कुछ प्रभावित होगा.
SBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोई भी केंद्रीय बैंक अपनी मुद्रा के अवमूल्यन को फिलहाल रोक नहीं सकता है और आरबीआई भी सीमित अवधि के लिए रूपये में गिरावट होने देगा. इमसें कहा गया, यह भी सच है कि जब मुद्रा एक निचले स्तर पर स्थिर हो जाती है तो फिर उसमें नाटकीय ढंग से तेजी आती है और भारत की मजबूत बुनियाद को देखते हुए यह भी एक संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये की कीमत में यह गिरावट डॉलर की मजबूती की वजह से आई है, घरेलू आर्थिक मूलभूत कारणों से नहीं.
एक्सपर्ट-
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के फॉरेक्स एंड बुलियन एनालिस्ट गौरांग सौमैया ने कहा, डॉलर के दो दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने से रुपये रिकॉर्ड निचले स्तर 81.55 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. उन्होंने कहा, डॉलर के मजबूत होने से रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है. हॉकिश फेड आउटलुक, चीन में राजनीतिक अस्थिरता और टैक्स कटौती की घोषणा के बाद पाउंड में बिकवाली भी ओवरऑल मार्केट सेंटीमेंट्स को डिस्टर्ब कर रहा है. इस हफ्ते, आरबीआई अपना पॉलिसी स्टेटमेंट जारी करेगा और इससे रुपये पर असर पड़ने की संभावना है जो वर्तमान में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रहा है.