Vivad Se Vishwas scheme: वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने कहा कि विवाद से विश्वास दो (Vivad Se Vishwas II) के तहत सरकारी ठेकों से संबंधित लंबित विवादों के निपटान की योजना 15 जुलाई से शुरू होगी और ठेकेदारों के पास अपने दावे प्रस्तुत करने के लिए 31 अक्टूबर तक का समय होगा. सरकारी ठेकों से संबंधित लंबित विवादों के निपटारे के लिए 2023-24 के बजट (Budget 2023) में विवाद से विश्वास दो (ठेके से संबंधित विवाद) योजना की घोषणा की गई थी. योजना के तहत विवाद की स्थिति के आधार पर ठेकेदारों को निपटान राशि की पेशकश की जाएगी.

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व्यय विभाग द्वारा घोषित योजना के अनुसार, ऐसे मामले जिनमें अदालत या मध्यस्थता आदेश पारित किया जा चुका है, निपटान राशि क्रमशः अदालत या मध्यस्थता न्यायाधिकरण द्वारा तय की गई राशि का 85% या 65% होगी. योजना के मसौदे में व्यय विभाग ने प्रस्ताव दिया था कि अदालती आदेशों के मामले में निपटान राशि 80% और मध्यस्थता फैसलों के मामले में 60% होगी. व्यय विभाग ने हितधारकों की राय मिलने के बाद अंतिम योजना में सुधार किया है.

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15 जुलाई से शुरू होगी

डीओई के एक ऑफिस मेमोरेंडम में कहा गया है कि यह योजना 15 जुलाई, 2023 से शुरू होगी और दावे 31 अक्टूबर, 2023 तक जमा किए जा सकते हैं. मंत्रालयों और सरकारी विभागों के अलावा, यह योजना स्वायत्त निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और उद्यमों और मेट्रो रेल निगम जैसे उन सभी संगठनों पर लागू होगी, जहां भारत सरकार की 50% हिस्सेदारी है. 

इस योजना के तहत वे मामले आएंगे जिनमें 30 अप्रैल, 2023 तक अदालती आदेश और 30 जनवरी, 2023 तक मध्यस्थता फैसले पारित किया गया है. इसमें कहा गया है कि यह योजना सभी प्रकार की खरीद पर लागू होगी. इसमें माल, सेवाओं और कार्यों की खरीद शामिल है. यह योजना सभी ‘कमाई वाले अनुबंध’ (यानी अनुबंध जहां सरकार को माल, सेवाओं, अधिकारों के बदले धन प्राप्त होता है) पर भी लागू होती है. साथ ही इसके तहत सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) व्यवस्था के तहत अनुबंध भी आते हैं.

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योजना के तहत 500 करोड़ रुपये या इससे कम दावा राशि होने पर सरकारी विभागों को निपटान को स्वीकार करना अनिवार्य होगा. अगर ठेकेदार द्वारा दावा राशि 500 ​​करोड़ रुपये से अधिक है, तो खरीद करने वाली संस्थाओं के पास निपटान अनुरोध को स्वीकार नहीं करने का विकल्प होगा. विवाद से विश्वास दो (Vivad Se Vishwas II) योजना का उद्देश्य लंबित मुकदमेबाजी को समाप्त करना, फंसे कोष को निकालने और कारोबार सुगमता की स्थिति को बेहतर करना है. 

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