रिपोर्ट : मनमोहन भट्ट

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उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक और बांध (Dam) बनने जा रहा है. इससे हल्द्वानी और उधम सिंह नगर में पानी की किल्लत अब दूर हो पाएगी. 40 साल से लटके जमरानी बांध के लिए आखिरकार पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है. इस बांध से करीब 35 लाख की आबादी के लिए पीने के पानी की व्यवस्था हो पाएगी. साथ ही उधम सिंह नगर जैसे कृषि प्रधान क्षेत्र के लिए सिंचाई की भी व्यवस्था होगी. इस बांध को कुमाऊं के बाबर की लाइफ लाइन माना जा रहा है.

केंद्रीय जल आयोग की तकनीकी सलाहकार समिति पहले ही बांध परियोजना को मंजूरी दे चुका है. इस बांध के बनने से क्षेत्रवासियों की वर्षों पुरानी पीने के पानी की समस्या दूर होने जा रही है. 9 किलोमीटर लम्बे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊँचे इस बाँध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन भी होगा. इससे खासतौर पर उधमसिंह नगर और नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी.

इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल लागत 2584 करोड़ रुपये है. परियोजना की तकनीकी मंजूरी केंद्रीय जल आयोग द्वारा फरवरी 2019 में दी जा चुकी है. बांध निर्माण के लिए वन विभाग ने 351.49 हेक्टेयर जमीन दी है. शासन से इसके लिए शुरुआती तौर पर 89 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी जा चुकी है.  जमरानी बांध की मांग पिछले 40 साल से ज्यादा पुरानी है. उत्तराखंड के हर चुनाव में इस बांध का निर्माण बड़ा मुद्दा रहा है. लेकिन इस बांध के लिए अंतिम रूप से मंजूरी अब जाकर मिली है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि इस बांध के बनने से राज्य को कई तरह से फायदा होगा. बिजली के उत्पादन के साथ-साथ पीने के पानी की बड़ी समस्या का समाधान हो सकेगा. साथ ही इस बांध से आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई की बेहतर व्यवस्था हो पाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र का सहयोग राज्य सरकार को लगातार मिलता रहा है. इस बार जब यह मामला केंद्र के पास गया तो विशेष प्रयासों के द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति हासिल करने में कामयाबी मिल पाई है.

उत्तराखंड सरकार ने छोटे-छोटे बांध बनाने की योजना बनाई है. इससे पहले देहरादून में भी पानी की किल्लत को दूर करने के लिए सॉन्ग नदी पर बांध बनाया जा रहा है. जाहिर है उत्तराखंड के 3 बड़े शहर देहरादून, हल्द्वानी और उधम सिंह नगर में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है. ऐसे में पानी की उपलब्धता बांध बनाकर ही पूरी की जा सकती है.