UPI Payment: भारत तेजी से डिजिटल इंडिया में बदल रहा है और यहां लोग डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं. इस बात का पता इसी चीज से लगाया जा सकता है कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के भारतीयों ने एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है. कोरोना से बचाव के मद्देनजर लोगों के कैश पेमेंट (Cash Payment) के बजाय UPI पेमेंट को प्राथमिकता दी थी, जिसने एक नया रिकॉर्ड बनाया है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

UPI ट्रांजेक्शन में 103% की हुई बढ़ोतरी (UPI Transaction)

हमारी सहयोगी ज़ी न्यूज के मुताबिक, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने आंकड़े जारी किए हैं. आंकड़ों में बताया गया है कि साल 2020 में UPI ट्रांजेक्शन में 103 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 

साल 2019 में भारत में कुल UPI ट्रांजेक्शन 2 लाख 2 हजार करोड़ के पास था. वहीं साल 2020 में बढ़कर 4 लाख 16 हजार करोड़ रुपये के पार चला गया.

2020 में जहां ऑनलाइन पेमेंट के जरिए कोरोना से बचाव हुआ, वहीं हर अधिकतर पेमेंट पर मिलने वाले कैशबैक ऑफर से लोगों की बचत भी हो सकी. 

कैशलेस ट्रांजैक्शन में भारत No.1 (Digital Transaction)

साल 2016 में नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने डिजिटल इंडिया मुहिम शुरू की थी. इसी के चलते भारत में UPI ट्रांजेक्शन की शुरुआत हुई थी. इस मुहीम के पीछे सबसे बड़ा कारण भारत मे काले धन पर लगाम लगाना और लोगों की सहूलियत के लिए कैशलेस ट्रांजैक्शन (Cashless Transaction) को बढ़ावा देना था.

साल 2020 में आई FIS की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व मे रियल टाइम कैशलेस पेमेंट ट्रांजेक्शन के मामले में भारत पहले नंबर पर था. भारत में रोजाना 4 करोड़ से ज्यादा का कैशलेस ट्रांजेक्शन किया गया था.

महंगा हो गया यूपीआई ट्रांजैक्शन!

ऐसी खबरें आ रही हैं कि नए साल से यूपीआई ट्रांज़ैक्शन महंगे हो जाएंगे व थर्ड पार्टी ऐप से पेमेंट करने पर अतिरिक्त चार्ज लगेंगे. लेकिन एनपीसीआई ने कहा कि इस खबर में कोई सच्चाई नहीं है.

कॉरपोरेशन का कहना है कि इस तरह का कोई चार्ज नहीं लिया जा रहा है और लोगों को बिना किसी चिंता के यूपीआई ट्रांजैक्शन जारी रखना चाहिए. 

 

ज़ी बिज़नेस LIVE TV देखें: