प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में देश की अर्थव्यवस्था और जम्मू-कश्मीर के विकास से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए. बैठक में अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश बढ़ाने, सिंगल ब्रांड रिटेल सेक्टर में एफडीआई के मानकों को और उदार बनाने तथा गन्ना किसानों को लिए बड़े फैसले लिए गए.

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कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और पीयूष गोयल ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी. 

कोयला खनन में 100 फीसदी FDI

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए किए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बीते 5 सालों में 286 मीलियन डॉलर का एफडीआई भारत में आया है. यह निवेश पिछली सरकार (कांग्रेस सरकार) के कार्यकाल से डेढ़ गुना है. साल 2018-19 में 64.37 विलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था, जो कि अब तक का सबसे ज्यादा एफडीआई है.

उन्होंने बताया कि एफडीआई को प्रोत्साहन देने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कोल माइनिंग, कोयला की बिक्री और कोयला से जुड़े तमाम कामों के लिए शत-प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है. कोल माइनिंग से जुड़े सहायक कामों जैसे कोल वाशिंग, थ्रेशिंग, कोल हैंडलिंग आदि कामों में भी 100 फीसदी एफडीआई को हरी झंडी दिखा दी गई है.

कॉन्ट्रेक्ट्र मेन्यूफेकचरिंग में भी 100 फीसदी एफडीआई

पीयूष गोयल ने बताया कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं. कॉन्ट्रेक्ट्र मैन्युफैक्चरिंग में भी 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है. यह नीति छोटे-बड़े सभी मैन्युफैक्चर पर लागू होगी. उन्होंने बताया कि जो बाहर की कंपनियां यहां आकर निर्माण करना चाहती हैं, उनके लिए बनाई पॉलिसी में कुछ सुधार किए गए हैं. 

 

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कॉन्ट्रेक्ट्र मैन्युफैक्चरिंग में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश को मंजूरी दी गई है. अभी तक जो कंपनी खुद निर्माण करती थी, उसको तो 100 फीसदी एफडीआई था, लेकिन जो कंपनी किसी तीसरी पार्टी से कॉन्ट्रेक्ट पर किसी सामान को तैयार करवाती थी, उसके लिए एफडीआई नहीं था. 

उन्होंने बताया कि आज काम करने का तरीका बदल रहा है. कई कंपनियां किसी बड़े निर्माता के पास कॉन्ट्रेक्ट पर अपना सामान तैयार करवाती हैं. ऐसे कॉन्ट्रेक्टर को अभी तक एफडीआई नहीं था, लेकिन अब सरकार ने सभी छोटे-बड़े कॉन्ट्रेक्ट निर्माताओं को 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी दे दी है.