Union Budget 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को अपने बजट भाषण में कहा कि राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को वित्त वर्ष 2025-26 तक कम करके 4.5 प्रतिशत से नीचे लाया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि बजट में अगले वित्त वर्ष के लिए टैक्स प्राप्तियों को 23.3 लाख करोड़ रुपये पर रखा गया है

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इसके अलावा राज्यों को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.5 प्रतिशत तक राजकोषीय घाटे की परमिशन होगी. लोकसभा में 2023-24 के लिए आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे की भरपाई करने के लिए, दिनांकित प्रतिभूतियों से शुद्ध बाजार कर्ज 11.8 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है.

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अनुमान

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य (fiscal deficit target) 6.4 प्रतिशत रखा है, जो बजट अनुमान के मुताबिक ही है. हालांकि, अगले वित्त वर्ष के लिए इसे घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार ने इसे जीडीपी के 6.4 प्रतिशत पर रखा था. चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा  (fiscal deficit) 16,61,196 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.  

बजट 2023-24 के लिए अनुमान

वित्त मंत्री ने  बजट 2023-24 के अनुमान में कुल प्राप्तियां और कुल खर्च क्रमश: 27.2 लाख करोड़ और 45 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया है. राजकोषीय घाटे (fiscal deficit target) की बात करें तो यह जीडीपी के 5.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वित्त मंत्री (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने Union Budget 2023 भाषण में कहा कि उन्होंने साल 2021-22 के बजट भाषण में कहा था कि हम कालांतर में राजकोषीय घाटे को लगातार कम करने के साथ-साथ, साल 2025-26 तक इसे 4.5 प्रतिशत से नीचे रखने के लिए ट्रेजरी कॉन्सोलिडेशन (राजकोषीय समेकन) की राह पर चलते रहेंगे. 

भारतीय इकोनॉमी को मिलेगी मजबूती

मिरे एसेट इंवेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ (फिक्स्ड इनकम) महेंद्र जाजू का बजट को लेकर प्रतिक्रिया,इस बजट में लंबी अवधि के विजन, संरचनात्मक सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं सोशल डेवलपमेंट पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया है. 10 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सर्वाधिक पूंजीगत व्यय भारतीय इकोनॉमी में जारी पॉजिटीव मोमेंटम के लिए काफी उत्साहजनक संकेत है. समावेशी विकास और महिला तथा समाज के कमजोर तबके को सशक्त बनाए जाने से बढ़ती समृद्धि वाले देशों में व्यापक भागीदारी के चले रहे ट्रेंड को और मजबूती मिलेगी.

राजकोषीय मोर्चे पर देखा जाए तो नेट बॉरोइंग के 11.8 लाख करोड़ रुपये पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया गया है जो कुल जीडीपी के 5.9 फीसदी के बराबर है. यह पिछले वित्त वर्ष के 6.4 फीसदी की तुलना में बहुत अधिक सुधार को दिखाता है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को घटाकर 4.5 फीसदी के नीचे लाने का लक्ष्य रखा है. नॉमिनल जीडीपी ग्रोड के 10.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. वहीं, महंगाई दर के आने वाले महीनों में नीचे आने की संभावना है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ब्याज दर वर्तमान स्तर के आसपास स्थिर रहेंगे. मजबूत बजट से एमपीसी को महंगाई के सप्लाई साइड मैनेजमेंट, ग्रोथ मोमेंटम और राजकोषीय स्थिरता को मैनेज करने के लिए थोड़ी गुंजाइश मिल जाएगी. इससे मार्जिन पर उदार रुख की गुंजाइश पैदा हो जाती है."

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