जी बिजनेस की खबर का असर, Whatsapp, टेलीग्राम पर शिकंजा कसने की तैयारी! TRAI ने जारी किया कंसल्टेशन पेपर
OTTs Regulation Consultation Paper:जी बिजनेस की खबर का बड़ा असर हुआ है. टेलिकॉम नियामक संस्था ट्राई ने OTT ऐप्स को रेग्युलेशन के दायरे में लाने के लिए कंसलटेशन पेपर जारी किया है.
OTTs Regulation Consultation Paper: टेलीकॉम कंपनियों जैसी सेवा देने वाली OTTs यानी एप्लिकेशन को सरकार रेग्युलेशन के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है. जी बिजनेस की खबर का बड़ा असर हुआ है. टेलिकॉम नियामक संस्था ट्राई ने OTT ऐप्स को रेग्युलेशन के दायरे में लाने के लिए कंसलटेशन पेपर जारी किया है. Covid-19 और उसके बाद तेजी से इनका प्रयोग बढ़ा है और जिस तरह इनके डाटा, प्राइवेसी संबंधी इन कंपनियों के नियम लगातार बदल रहे हैं.
OTTs Regulation Consultation Paper: चार अगस्त तक मांगी है आपत्तियां
आम लोगों की निजता और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार ये कदम उठाने जा रही है.टेलीकॉम कंपनियों ने भी इस तरह के रेग्युलेशन की मांग की थी. यहां समान काम और सेवा के लिए समान रेग्युलेशन की मांग की थी. सरकार ने OTTs पर कम्युनिकेशंस की गुणवत्ता और चुनिंदा परिस्थितियों में सिलेक्टिव बैन के लिए कंसलटेशन पेपर जारी किया है. ट्राई ने चार अगस्त तक सभी हितधारकों से सुझाव और आपत्तियां मांगी है. वहीं 18 अगस्त तक काउन्टर रिप्लाई करने का भी समय दिया है.
OTTs Regulation Consultation Paper: सितंबर में मांगा था सुझाव
लगातार बढ़ रही OTTs और उसकी सेवाओं को रेग्युलेट करने की कवायद है. सरकार ने TRAI से पिछले साल सात सितंबर को सुझाव मांगा था. सरकार का कहना है कि OTTs अब पर्याप्त रूप से परिपक्व हो गई है. ऐसे में उनके लिए नियमन की आवश्यकता है. आपको बता दें कि जी बिजनस ने ये खबर प्रमुखता से दिखाई थी. OTTS के रेग्युलेशन और उनसे जुड़ी सेवाओं के प्रति कंपनियां जिम्मेदार हों इसको लेकर आवाज उठाई थी.
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ट्राई ने इससे पहले OTT की परिभाषा बदलने का प्रस्ताव किया गया था. मतलब Whatsapp, Signal, Telegram, Skype समेत Satellite Based Internet, Broadband सर्विसेस, In Flight और Maritime Connectivity सेवा प्रदाता सभी कंपनियां दायरे में आएंगी.