रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने शुक्रवार को कहा कि वह भारत की साख बढ़ाने का फैसला लेने से पहले नई सरकार की वृद्धि-समर्थक नीतियों के अलावा अगले एक-दो साल तक राजकोषीय आंकड़ों पर भी नजर रखेगी. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने इसी सप्ताह भारत की क्रेडिट रेटिंग को  ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ कर दिया. लेकिन उसने भारत की ‘सॉवरेन रेटिंग’ को ‘बीबीबी-‘ पर बरकरार रखा है जो कि सबसे निचली निवेश-योग्य रेटिंग है. इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि देश में बनने वाली कोई भी नई सरकार वृद्धि समर्थक नीतियों, बुनियादी ढांचे में निवेश और राजकोषीय सशक्तीकरण को लेकर प्रतिबद्धता को जारी रखेगी.

सॉवरेन रेटिंग को बढ़ाने से पहले 2 सालों तक रखेंगे

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एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषक यीफर्न फुआ ने एक वेबिनार में कहा, ‘अगले दो वर्षों में हम बारीकी से देखेंगे कि सरकार राजकोषीय मजबूती की तय राह पर बनी रहती है या नहीं.… हम अगले एक-दो वर्षों तक यह देखेंगे कि राजकोषीय आंकड़े किस तरह के आते हैं और ऐसा होता है तो इससे रेटिंग में सुधार होगा.’राजकोषीय मजबूती की योजना के तहत सरकारी व्यय और राजस्व के बीच का अंतर यानी राजकोषीय घाटे को मार्च, 2026 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा गया है. राजकोषीय घाटे के मार्च, 2025 के अंत में 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है.

लंबे समय के लिए ग्रोथ रेट 8% रह सकता है

फुआ ने कहा कि एक बार जब उच्च बुनियादी ढांचे के निवेश का प्रभाव महसूस किया जाता है और अड़चनें दूर हो जाती हैं, तो भारत की दीर्घकालिक वृद्धि क्षमता आठ फीसदी तक रह सकती है.  उन्होंने कहा कि 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद से अलग-अलग दलों और गठबंधनों के शासन के बावजूद भारत में लगातार उच्च GDP वृद्धि दर रही है.

फिस्कल डेफिसिट पर हर सरकार की रहेगी नजर

फुआ ने कहा, ‘यह प्रमुख आर्थिक नीतियों पर राष्ट्रीय आम सहमति को दर्शाता है. हम मानते हैं कि चुनाव के बाद यह वृद्धि-समर्थक नीति जारी रहेगी और आने वाले वर्षों में राजकोषीय मजबूती की राजनीतिक प्रतिबद्धता भी बनी रहेगी. चाहे आने वाली सरकार कोई भी हो, विकास समर्थक नीतियां, निरंतर बुनियादी ढांचे में निवेश और राजकोषीय घाटे को कम करने की मुहिम आने वाले वर्षों में जारी रहेगी.’

2028 तक फिस्कल डेफिसिट 6.8% पर आ जाएगा

इस समय नई लोकसभा के गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया चल रही है. चुनावों के नतीजे चार जून को घोषित होंगे. फुआ ने उम्मीद जताई कि केंद्र एवं राज्यों का कुल सरकारी घाटा वर्ष 2028 तक घटकर GDP के 6.8 फीसदी पर आ जाएगा. फिलहाल यह 7.9 फीसदी पर है. एसएंडपी के निदेशक (एशिया-प्रशांत, सॉवरेन रेटिंग) एंड्रयू वुड ने कहा कि भारत का राजकोषीय प्रदर्शन कुछ उभरते बाजारों की तुलना में अपेक्षाकृत कमजोर बना हुआ है. बीबीबी रेटिंग वाले देशों- मलेशिया, फिलीपीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम का राजकोषीय घाटा इस वर्ष चार फीसदी से कम होगा जबकि भारत के मामले में यह 7.9 फीसदी है.