Rupee Vs Dollar: भारतीय करेंसी रुपये में लगातार चौथे दिन कमजोरी आई है. बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी से गुरुवार, 14 जुलाई को डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले  स्तर पर आ गया. रुपए ने 79.80 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर को छुआ. अमेरिका में महंगाई दर (US Inflation Rate) बढ़कर 9.1 फीसदी पर पहुंच गई है, जो 41 साल का उच्चतम स्तर है. बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए फेडरल रिजर्व (Federal Reserve Rate Hike) द्वारा आक्रामक ढंग से ब्याज दर में बढ़ोतरी किए जाने की आशंका रुपये की धारणा प्रभावित हुई है.

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80 के स्तर को छू सकता है रुपया

ट्रेडर्स को उम्मीद है कि रुपये में गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री में हस्तक्षेप किया जाएगा, लेकिन निकट भविष्य में इसके 80 प्रति डॉलर के स्तर को छूने की उम्मीद है. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.63 के स्तर पर बंद हुआ था. वहीं गुरुवार को रुपये ने 79.80 प्रति डॉलर के स्तर को छुआ. घरेलू शेयर बाजार से फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) की निकासी और विदेशी बाजारों में डॉलर के 20 साल के हाई पर पहुंचने से रुपये में बड़ी गिरावट आई.

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कच्चे तेल में नरमी से Rupee को मिलेगा सपोर्ट

HDFC बैंक के इकोनॉमिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में दबाव बना रहेगा, लेकिन नियर टर्म में कच्चे तेल की कीमतों नरमी से रुपये को सपोर्ट मिलेगा. दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर इंडेक्स बढ़कर 20 साल के उच्चतम स्तर 108.59 पर पहुंच गया.

अमेरिका में रिटेल इंफ्लेशन जून में चार दशक के उच्चतम स्तर 9.1% पर पहुंच गई. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी का दबाव बढ़ेगा. हाई यूएस बॉन्ड यील्ड्स की वजह से उभरते बाजार की करेंसी का आकर्षण घट रहा है.

रुपये पर बना रहेगा दबाव

स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के हेड रिसर्च संतोष मीणा ने कहा, रुपया दबाव में रहा है और अपने ऑल-टाइम लो पर ट्रेड कर रहा है. जून में अमेरिका में उम्मीद से अधिक महंगाई के आंकड़ों ने फेड द्वारा दर में 100 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की संभावना को बढ़ा दिया है. इसके अलावा, FII की लगातार बिकवाली से इंडियन फॉरेक्स रिजर्व 14 महीनों में सबसे निचले स्तर पर आ गया है, जिससे आरबीआई (RBI) के लिए रुपये में और गिरावट को नियंत्रित करने की चुनौती बन गई है. हाल ही में, RBI ने बैंकों और कारोबारियों को रुपये में ग्लोबल टांजैक्शन और सेटलमेंट की अनुमति दी है. केंद्रीय बैंक के इस कदम से अल्पकालिक राहत की उम्मीद नहीं हैं.