फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने से रुपये पर दबाव बढ़ेगा, इम्पोर्टेड इंफ्लेशन का बढ़ सकता है खतरा
Rupee vs Dollar: ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी से मांग में कमी आएगी और अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ जाएगी. कच्चे तेल (Crude Oil) और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी से रुपये में और गिरावट आ सकती है.
Rupee vs Dollar: इस हफ्ते की शुरुआत में अपने अबतक के सबसे निचले स्तर को छूने वाली भारतीय करेंसी रुपये (Indian Rupee) पर दबाव बने रहने की आशंका है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी का संकेत दिए जाने के बाद रुपया और नीचे जा सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी से मांग में कमी आएगी और अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ जाएगी. यह पूंजी निकासी की गति को और तेज कर सकता है, रुपये को कमजोर कर सकता है और इससे इम्पोर्टेड इंफ्लेशन का खतरा बढ़ा सकता है.
फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी से भारत और अमेरिका में ब्याज दरों का अंतर कम हो गया है, जिससे भारत डॉलर के निवेश के लिए कम आकर्षक रह गया है. एक्सपर्ट्स ने कहा कि इससे पूंजी की निकासी हो सकती है और कच्चे तेल (Crude Oil) और कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी से रुपये में और गिरावट आ सकती है.
इम्पोर्टेड इंफ्लेशन का खतरा
साथ ही आयातित महंगाई का भी खतरा है. भले ही वैश्विक कीमतें अपरिवर्तित रहें, लेकिन कमजोर रुपये का मतलब है कि भारत अपने आयात के लिए अधिक भुगतान कर रहा है और इस प्रकार मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा है. भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85% आयात से पूरा करता है. साथ ही गैस की 50% जरूरत को आयात से पूरा किया जाता है.
डॉलर के मुकाबले ऑलटाइम लो पर रुपया
रुपया सोमवार को कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80.15 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को छू गया था. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले यह 39 पैसे की तेजी के साथ लगभग दो सप्ताह के उच्चस्तर 79.52 पर बंद हुआ. बुधवार को गणेश चतुर्थी के कारण शेयर और विदेशी मुद्रा बाजार बंद हैं.
रूस-यूक्रेन में जंग से भारतीय रुपया दबाव में
फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से भारतीय रुपया दबाव में है. रिजर्व बैंक (RBI) अस्थिरता पर अंकुश लगाने और रुपये के गिरते मूल्य को थामने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में नियमित रूप से हस्तक्षेप कर रहा है. EYE के व्यापार सलाहकार भागीदार हेमल शाह ने कहा, डॉलर की मजबूती के कारण रुपये पर दबाव रहेगा और यह नए निचले स्तर को छू सकता है. हालांकि, रिजर्व बैंक सक्रिय रहेगा और रुपये में तेज गिरावट को थामने का प्रयास करेगा. IT सेक्टर पर रुपये में गिरावट के प्रभाव के बारे में डेलॉयट इंडिया के भागीदार और टीएमटी उद्योग के लीडर पीएन सुदर्शन ने कहा कि उद्योग मार्जिन दबाव में काम कर रहा है और विनिमय दर का लाभ उस दबाव को कुछ हद तक कम कर सकता है.
सुदर्शन ने कहा, पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं असामान्य मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रही हैं और वे थोड़ा सख्ती बरतने की कोशिश कर सकती हैं. लिस्टेड प्राइवेट नॉन-फाइनेंस कंपनियों के प्रदर्शन पर रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की वार्षिक बिक्री ग्रोथ, जो कोविड-19 महामारी के दौरान भी सकारात्मक बनी रही, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 21.3% रही.
जनवरी से अबतक 7.63% कमजोर हुआ रुपया
इस साल जनवरी से अबतक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 7.63 प्रतिशत कमजोर हुआ है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि रुपये में गिरावट से आयात महंगा हो गया है. उनके अनुसार, इससे खाद्य तेल के आयात पर असर पड़ेगा और घरेलू बाजार में कीमतें कुछ हद तक बढ़ सकती हैं. भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए लगभग 60-65 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात करता है.