अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय मु्द्रा में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को घोषित की गई मौद्रिक नीति भी गिरावट के इस रुख को थामने में नाकामयाब रही. इसके उलट भारतीय मु्द्रा में गिरावट और तेज हो गई. रुपया इतिहास में पहली बार टूटकर 74 प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गया.

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रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.50 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखा. मौद्रिक पॉलिसी रुपये की गिरावट नहीं थाम सकी. शेयर बाजार में बिकवाली से भी रुपये पर दबाव रहा और दिन के कारोबार के दौरान रुपये में करीब 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. खबर लिखे जाने तक रुपया 74.23 के स्तर पर कारोबार कर रहा था. इससे पहले गुरुवार को रुपया 73.58 के स्तर पर बंद हुआ था.

रुपये में 2018 के दौरान अभी तक 13.5 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है और ये इस साल एशिया में सबसे बुरा प्रदर्शन करने वाली मु्द्रा है.

क्या होगा असर 

रुपये की गिरावट अगर यूं ही जारी रही तो सरकार पर सबसे पहला दबाव पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर पड़ेगा, क्योंकि इसका सीधा राजनीतिक असर देखने को मिलता है. इस साल कई प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और अगले साल आम चुनाव हैं. ऐसे में सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगी. सरकार ने कल ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों को थामने के लिए एक्साइज ड्यूटी घटाई है. हालांकि अगर रुपये में गिरावट यूं ही जारी रही तो सरकार को कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा या उसका घाटा बढ़ेगा.

रुपये की गिरावट का दूसरा नुकसान देश आने वाला आयात और निवेश पर पड़ेगा. जहां आयात महंगा होने से आम लोगों को परेशानी होगी, वहीं विदेशी निवेशकों के देश छोड़कर जाने से आर्थिक परिदृश्य खराब होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये में कमजोरी का सिलसिल थमने वाला नहीं है. रुपया 75 रुपये प्रति डॉलर के स्तर को तो अल्पावधि में पार करेगा, साथ ही इसके 80 रुपये के स्तर को पार करने की बात भी कही जा रही है. ऐसे में आने वाला समय चुनौतियों से भरा रहने वाला है.