दिल्ली की एक अदालत ने 8,100 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में स्टर्लिंग बॉयोटेक के मालिकों को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर उन्हें (मालिकों को) शुक्रवार को नोटिस जारी किए. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने गुजरात स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी के मालिकों को नोटिस जारी किए.

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इससे पहले 23 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन मामले में सात लोगों के खिलाफ अदालत में पूरक आरोपपत्र दाखिल किये थे. एजेंसी ने अब तक सात व्यक्तियों और 184 कंपनियों सहित कुल 191 को आरोपी बनाया है. आरोपियों में स्टर्लिंग समूह के मुख्य प्रवर्तक नितिन संदेसरा, चेतन संदेसरा, दीप्ति संदेसरा हितेश पटेल, राजभूषण दीक्षित, चार्टर्ड अकाउंटेंट हेमंत हाथी और बिचौलिया गगन धवन शामिल हैं.

कंपनियों में स्टर्लिंग बॉयोटेक लिमिटेड, पीएमटी मशींस लिमिटेड, स्टर्लिंग सेज एंड इंफ्रा लिमिटेड, स्टर्लिंग पोर्ट लिमिटेड, स्टर्लिंग ऑयल रिसोर्स लिमिटेड और 179 मुखौटा कंपनियां शामिल हैं. इससे पहले आज प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अदालत का रुख कर स्टर्लिंग बायोटेक के मालिकों को नए कानून के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने की मांग की.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, '8,100 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में आपराधिक जांच से बचने के लिए स्टर्लिंग समूह के सभी चार प्रवर्तक देश छोड़कर फरार हो गए हैं.' एजेंसी ने भगोड़ा कानून के तहत वडोदरा स्थित कारोबारी परिवार की 7,000 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जब्ती की अनुमति देने का भी अदालत से आग्रह किया है. खबरों के मुताबिक संदेसरा परिवार के लोग अभी नाइजीरिया में हैं, वहीं बताया जाता है कि पटेल अमेरिका में है. 

उन्होंने कहा कि एजेंसी उनके प्रत्यर्पण के लिए भी जल्द ही कदम उठाएगी. एजेंसी ने इस मामले में अब तक धवन, दीक्षित, आंध्र बैंक के पूर्व-निदेशक अनूप गर्ग और धवन के एक कथित सहयोगी रंजीत मलिक को गिरफ्तार किया है.