रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग (Russia Ukraine war) का असर दुनियाभर में कच्चे तेल पर पड़ा है. इसका असर भारत पर भी पड़ना तय है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारत ने अपनी इकोनॉमी का मैनेजमेंट बहुत अच्छी तरह किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, लेकिन अनुमान यह भी है कि यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान के बाद वैश्विक ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी (Rising energy prices) का भारत की अर्थव्यवस्था (indian economy) पर निगेटिव प्रभाव पड़ सकता है.

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भारत ऊर्जा का बड़ा इम्पोर्टर

खबर के मुताबिक, आईएमएफ प्रमुख ने यूक्रेन पर रूस के हमले और इसके वैश्विक प्रभाव’ विषय पर संवाददाताओं से कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर सबसे ज्यादा असर ऊर्जा कीमतों के रूप में पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा का बड़ा इम्पोर्टर है और इसकी कीमतों में बढ़ोतरी का उस पर निगेटिव प्रभाव पड़ेगा. हालांकि उन्होंने कहा कि भारत के पास अर्थव्यवस्था के मोर्च पर चुनौती का सामना करने के लिए वित्त के रूप में कुछ गुंजाइश मौजूद है.

यूक्रेन पर रूसी हमले के परिणाम पूरी दुनिया को भुगतने होंगे

आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि यूक्रेन पर रूसी हमले के परिणाम पूरी दुनिया को भुगतने (Rising energy prices impact) होंगे. उन्होंने कहा कि यूरोप में जो कुछ हुआ है वैसा सोचा भी नहीं जा सकता था. उन्होंने कहा कि युद्ध का यूक्रेन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है, रूस में भी उल्लेखनीय संकुचन देखने को मिला है. हमारे विश्व आर्थिक परिदृश्य पर भी इसका असर होगा, अगले महीने हम ग्रोथ अनुमानों को घटाएंगे. उन्होंने कहा कि युद्ध के कारण जिंसों की कीमतें बढ़ेंगी, वास्तविक इनकम घटेगी जिसके लिए कुछ हद तक मुद्रास्फीति भी जिम्मेदार है और आखिरकार युद्ध का असर वित्तीय परिस्थितियों और कारोबारी विश्वास पर भी पड़ेगा.

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भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने चुनौती

आईएमएफ की पहली उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा कि इस युद्ध के चलते भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के सामने चुनौती आ खड़ी हुई है. गोपीनाथ ने कहा कि भारत की ऊर्जा आयात पर बहुत ज्यादा निर्भरता है और वैश्विक ऊर्जा कीमतें बढ़ रही हैं. इसका असर भारतीय लोगों की खरीद क्षमता पर पड़ रहा है. भारत में मुद्रास्फीति करीब छह फीसदी है जो भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक मुद्रास्फीति के लिहाज से ऊंचा स्तर है. उन्होंने कहा कि इसका भारत की मौद्रिक नीति पर असर पड़ेगा और यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों के लिए चुनौती है.