भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नई करेंसी चेस्ट की स्थापना को ले कर बैंकों के लिये नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. नए नियमों के अनुसार बैंक में करेंसी चेस्ट की स्ट्रांग रूम के लिये न्यूनतम 1,500 वर्गफुट का क्षेत्र होना अनिवार्य होगा. आरबीआई ने करेंसी चेस्ट के मामले में न्यूनतम मानक जारी करते हुए कहा 'स्ट्रांग रूम अथवा वॉल्ट के लिये कम से कम 1,500 वर्गफुट का क्षेत्र होना चाहिये. वहीं पहाड़ी अथवा दुर्गम क्षेत्र में वहां स्ट्रांग रूम अथवा वॉल्ट रखने के लिये कम से कम 600 वर्गफुट क्षेत्र होना जरूरी है.'

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रोजाना 6.6 लाख नोटों की प्रोसेसिंग क्षमता जरूरी

RBI के दिशा-निर्देश में कहा गया कि इस तरह की नई चेस्ट में रोजाना छह लाख 60 हजार बैंक नोटों की प्रोसेसिंग करने की क्षमता होनी चाहिये. पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में बनाई जाने वाली करेंसी चेस्ट या वॉल्ट की प्रतिदिन नोट प्रोसेसिंग क्षमता 2 लाख 10 हजार नोटों की होनी जरूरी है.

नई करेंसी चेस्ट खोलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे

RBI द्वारा बनाई गई एक समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि केंद्रीय बैंक को बैंकों को आधुनिक सुविधाओं के साथ नई करेंसी चेस्ट खोलने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए. ऐसी चेस्ट की बकाया रखने की सीमा कम से कम 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिये.

क्या होगा है करेंसी चेस्ट

RBI का सबसे महत्वपूर्ण काम देश में नई व पुरानी करेंसी को पहुंचाना है. RBI नई करेंसी और नए सिक्कों को देशभर में पहुंचाने के साथ ही पुरानी करेंसी को रिसाइकल करने का भी काम करता है. ऐसे में सभी बैंकों करेंसी चेस्ट बनाया जाता है जहां अत्यधिक कैश रखा जाता है. इस करेंसी चेस्ट के जरिए ही RBI पैसे का वितरण करता है.

महत्वपूर्ण है चेस्ट की भूमिका  

नोटबंदी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ये करेंसी चेस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. नई करेंसी की प्रिंटिग होने के बाद उसे सीधे देशभर में फैले इन करेंसी चेस्ट में पहुंचा दिया जाता है. रिजर्व बैंक की 2017-18 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में रिजर्व बैंक के 19 निर्गम कार्यालय, 3,975 करेंसी चेस्ट और वाणिज्यिक, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 3,654 सिक्के उपलब्ध कराने वाले छोटे डिपो हैं.

देश भर में संतुलन में करते हैं मदद

किसी राज्य की करेंसी चेस्ट में अधिक कैश एकत्र होने पर RBI वहां से कैश को निकाल कर ऐसे राज्य में पहुंचाती है जहां पर कैश की उपलब्धता कम हो रही हो. इसके लिए आरबीआई की टीमें देश के विभिन्न हिस्से में पैसे की उपलब्धता पर नजर रखती हैं.