RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने आत तत्‍काल प्रभाव से अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है. उनका इस्‍तीफा ऐसे महत्‍वपूर्ण समय में आया है जब एक दिन बाद ही राजस्‍थान, तेलंगाना, मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और मिजोरम विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं. इन विधानसभा चुनावों को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमी-फाइनल माना जा रहा है. कथित तौर पर अक्‍टूबर से वित्‍त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच तनातनी भी चल रही थी. जबसे वित्‍त मंत्रालय ने अबतक कभी इस्‍तेमाल नहीं किए गए RBI Act की धारा 7 पर चर्चा शुरू की थी तभी से रिश्‍तों में खटास आ गई थी. आरबीआई एक्‍ट की धारा 7 सरकार को यह अधिकार देता है कि वह जनहित में उसके कहे मुताबिक निश्चित नीतिगत उपाय करे.

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10 अक्‍टूबर से पहले सरकार ने RBI को लिखे थे 3 पत्र

उर्जित पटेल को RBI के 24वें गवर्नर के तौर पर सितंबर 2016 में तीन साल के लिए नियुक्‍त किया गया था. रिजर्व बैंक के सूत्रों ने न्‍यूज एजेंसियों को बताया कि 10 अक्‍टूबर से पहले सरकार ने RBI को तकरीबन 1 दर्जन मांगों के साथ तीन चिट्ठियां लिखी थीं. इन पत्रों का जवाब RBI ने एक हफ्ते के भीतर दे दिया था.

RBI से क्‍या चाहती थी सरकार?

सरकार RBI से मुख्‍य रूप से यह चाहती थी कि वह संकटग्रस्‍त गैर-बैंक कर्जदाताओं और MSME की लिक्विडिटी बढ़ाने में कुछ मदद करे, 11 सरकारी बैंक जो प्रॉम्‍प्‍ट करेक्टिव एक्‍शन (PCA) के दायरे में आए थे उन्‍हें कुछ छूट दे और ग्रोथ को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए. दूसरी तरफ, RBI रुढि़वादी रुख अपनाते हुए किसी भी तरह के दुष्‍परिणाम से बचना चाहता था.