रीयल एस्‍टेट (Real Estate) सेक्‍टर के दिन फिर से बहुरने वाले हैं. केंद्र सरकार ने इसे बूस्‍ट करने के लिए खास योजना बनाने की ओर इशारा किया है. वित्त मंत्री (Finance Ministry) निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) जमीन-जायादाद समेत पूरे रीयल्‍टी सेक्‍टर के विकास के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि पहले घोषित प्रोत्साहन (Incentive) उपायों में रीयल्टी क्षेत्र अछूता रह गया था. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र की हालत का असर दूसरे क्षेत्रों, खासकर बुनियादी उद्योगों पर पड़ता है. सीतारमण ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘सरकार क्षेत्र को लेकर काफी गंभीर है और RBI के साथ मिलकर काम कर रही है. हम यह देख रहे हैं कि जहां जरूरी है, वहां हम कैसे नियमों में बदलाव लाकर उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो रीयल्टी क्षेत्र में प्रभावित हैं.’’ 

उल्लेखनीय है कि जुलाई में बजट पेश होने के बाद सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसमें Corporate tax घटाकर 22 प्रतिशत किया जाना शामिल है. इसके जरिये कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपये के बराबर टैक्‍स राहत दी गई.

उन्होंने स्वीकार किया कि बाजार और खपत मांग बढ़ाने के लिए अगस्त से अब तक घोषित विभिन्न प्रोत्साहन उपायों से रीयल एस्टेट क्षेत्र को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिली है. 

FM ने कहा कि अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. एक क्षेत्र जिसे मैंने छुआ नहीं लेकिन इसका सकारात्मक प्रभाव होता है और शेयर बाजार पर भी इसका असर पड़ सकता है, वह है रीयल्टी क्षेत्र.

सीतारमण ने कहा कि कई निवेश कोष हमसे संपर्क कर कह चुके हैं कि वे इस क्षेत्र में निवेश को तैयार है लेकिन वे कुछ नीति समर्थन चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘कई वैकल्पिक फंड है जो हमसे समर्थन की बात कर रहे हैं....’’ ऐसा माना जाता है कि रीयल्टी क्षेत्र में कालाधन का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा था जिससे इसमें तेजी थी. 

नवंबर 2016 में नोटबंदी, मई 2017 में RERA पेश होने और जुलाई 2017 में GST लागू होने से रीयल्टी क्षेत्र पर असर पड़ा है. यह क्षेत्र अबतक तीन झटकों से उबर नहीं पाया है. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी संकट का भी क्षेत्र पर असर पड़ा है.