देश की अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक लिक्विडिटी बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-फरोख्त में पर्याप्त मात्रा में नकदी होना ही तरलता या लिक्विडिटी कहलाती है. भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी बांड खरीदकर अर्थव्यवस्था में 12,500 करोड़ रुपये की नकदी डालने की घोषणा की है.

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केंद्रीय बैंक खुले बाजार की गतिविधियों के तहत 20 जून को अलग-अलग परिपक्वता अवधि वाले पांच सरकारी बांड की खरीद करेगा.

रिजर्व बैंक ने कहा कि व्यवस्था में तरलता की स्थिति का आकलन करने और आने वाले समय में टिकाऊ तरलता जरूरत को देखते हुए रिजर्व बैंक ने खुले बाजार की गतिविधियों के तहत पांच सरकारी प्रतिभूतियां खरीदने का निर्णय किया है. यह खरीद 20 जून, 2019 को कुल मिलाकर 12,500 करोड़ रुपये की जाएगी.

इससे पहले रिजर्व बैंक ने 11 जून को अलग-अलग परिपक्वता अवधि वाले छह सरकारी बांड की खरीद कर 15,000 करोड़ रुपये की राशि आर्थिक तंत्र में छोड़ी थी.

लिक्विडिटी

तलरता या लिक्विडिटी को हिंदी में चल निधी कहते हैं. बाजार में किसी चीज को जब हम खरीदने जाते हैं और उसकी उपलब्धता निरंतर बनी रहती है तो माना जाता है कि उस वस्तु में पर्याप्त तरलता है. ऐसा ही कुछ अर्थव्यवस्था में पैसे की लिक्विटिडी के बारे में होता है. बाजार में पर्याप्त मात्रा में कैश होना, अर्थव्यवस्था की तरलता माना जाता है. नकदी को तरलता के लिए मानक माना जाता है क्योंकि यह अन्य संपत्तियों में सबसे तेज़ी से और आसानी से परिवर्तित की जा सकती है.

(इनपुट भाषा से)