केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बीच टकराव का रास्‍ता निकलता दिख रहा है. 19 नवंबर को होने वाली बोर्ड बैठक से पहले इसे निपटाया जा सकता है. लेकिन जिन मुद्दों पर तनातनी शुरू हुई, उनमें 1 दिन की देरी पर कर्ज को एनपीए में तब्दील करने का मुद्दा सबसे महत्‍वपूर्ण है. सरकार चाहती है कि केंद्रीय बैंक के किसी भी मुद्दे पर फैसला लेने में उसकी वृहद भागीदारी हो. आइए जानते हैं केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच टकराव के 3 प्रमुख कारण : 

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1- जनप्रतिनिधि होने का ज्‍यादा हक

केंद्र सरकार का मानना है कि मौजूदा चलन एक दिन की देरी के चलते कर्ज के एनपीए (NPA) में तब्दील होने जैसे कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उसे अलग रखता है. इसलिए RBI को ऐसे फैसले लेते समय उससे सलाह करनी चाहिए. समाचार एजेंसी पीटीआई से सूत्रों ने कहा कि सरकार का मानना है कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उसे आरबीआई के महत्वपूर्ण नीति-निर्णयों में शामिल होना चाहिए.

 

2- सरकार के दो नामित डायरेक्‍टर भी करते हैं अगुवाई

सरकार कहती है कि गवर्नर और 4 डिप्टी गवर्नरों की उपस्थिति से कुछ उप-समितियों का कोरम पूरा हो जाता है और किसी भी अन्य निदेशक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती. हालांकि केंद्रीय बोर्ड का अगुवा आरबीआई का गवर्नर और सरकार के दो नामित डायरेक्‍टर होते हैं. इसमें 11 स्‍वतंत्र निदेशक भी शामिल होते हैं. लेकिन मौजूदा समय में सेंट्रल बोर्ड में 18 सदस्‍य हैं और इन्‍हें 21 करने का प्रावधान है.

3- एमएमएमई सेक्‍टर को लोनिंग

सरकार चाहती है कि आरबीआई एमएसएमई सेक्‍टर को कर्ज की शर्तों को आसान बनाए. इसका प्रस्‍ताव 19 नवंबर को प्रस्‍तावित बोर्ड बैठक में रखा जा सकता है. अगर बोर्ड बैठक में ऐसा नहीं होता तो वित्‍त मंत्रालय अपने अधिकार का इस्‍तेमाल कर सकता है. सरकार यह भी चाहती है कि आरबीआई कमजोर कारोबार वाले बैंकों के लिए प्रॉम्‍प्‍ट करेक्टिव एक्‍शन (PCA) में भी ढील दे. अभी 21 सरकारी बैंकों में 11 पीसीए फ्रेमवर्क में आते हैं.

कैसे बढ़ा टकराव

टकराव बढ़ने का कारण आरबीआई एक्ट का सेक्शन-7 था. सरकार ने इसे लागू कर दिया था. सेक्शन-7 का इस्‍तेमाल सरकार आरबीआई गवर्नर के साथ विचार-विमर्श और उन्हें निर्देश देने के लिए करती है.

अब क्‍या होगा

इस विवाद को निपटाने के लिए दोनों पक्षों में सुलह हो सकती है. आरबीआई नवंबर में मार्केट में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि डालेगा. 15 नवंबर को पहली किश्त 12000 करोड़ रुपए मार्केट में डाली जा चुकी है. इससे अर्थव्‍यवस्‍था को बूस्‍ट मिलेगा.