अप्रैल-जून में निजी खपत में बढ़ोतरी, ग्रामीण मांग में सुधार से ग्रोथ को मिलेगी रफ्तार- RBI
Indian Economy: रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्त ग्रोथ और उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रही है और वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक असहज शांति बनी हुई है. बाजार बैंकिंग विनियमन और जमा बीमा पर नीति अधिकारियों से स्पष्ट संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
Indian Economy: देश की इकोनॉमिक ग्रोथ अप्रैल-जून तिमाही में निजी खपत में बढ़ोतरी से संचालित होगी. साथ ही इसे ग्रामीण मांग में सुधार और विनिर्माण क्षेत्र में उछाल से समर्थन मिलेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक रिपोर्ट में यह बात कही गई. सोमवार को जारी हुए इस रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्त ग्रोथ और उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रही है और वैश्विक वित्तीय बाजारों में एक असहज शांति बनी हुई है. बाजार बैंकिंग विनियमन और जमा बीमा पर नीति अधिकारियों से स्पष्ट संकेतों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
'स्टेट ऑफ द इकोनॉमी' पर रिपोर्ट में कहा गया कि अप्रैल और मई के पहले पखवाड़े में घरेलू आर्थिक दशाओं ने 2022-23 की अंतिम तिमाही की गति को बनाए रखा है. नवंबर 2021 के बाद पहली बार उपभोक्ता कीमतों पर आधारित महंगाई अप्रैल 2023 में 5% से नीचे आ गई. कॉरपोरेट इनकम उम्मीद से बेहतर है और बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्रों में प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है.
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रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की बढ़ोतरी निजी खपत से संचालित होने की उम्मीद है. इसे ग्रामीण मांग और सेवा क्षेत्र में सुधार से समर्थन मिलेगा. रिपोर्ट को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने लिखा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि रिपोर्ट में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.
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