Divestment: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये के लाभांश भुगतान से बड़े स्तर पर विनिवेश की जरूरत सीमित हो जाएगी. घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने गुरुवार को यह बात कही. उसने कहा कि नई सरकार विनिवेश से प्राप्ति के अनुमान को 50,000 रुपये रख सकती है. यह अंतरिम बजट के बराबर है. 

आरबीआई डिविडेंड से फिस्कल स्थिति सुधरी

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इसमें कहा गया है, "आरबीआई से रिकॉर्ड लाभांश के साथ, केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति संतोषजनक बनी हुई है. यह बड़े स्तर पर विनिवेश के साथ आगे बढ़ने की जरूरत सीमित कर सकता है." 

इस साल हो सकती है SCI में विनिवेश

इसमें कहा गया है कि यदि संसाधन जुटाने में कमी रहती है, तो सरकार संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (मौद्रीकरण) को प्राथमिकता देगी. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SCI) में शेयर बिक्री चालू वित्त वर्ष के दौरान पूरी होने की उम्मीद है. इससे सरकार के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाएगा. 

रिपोर्ट के अनुसार, "शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की भूमि संपत्तियों के विलय के बाद, इसका संभावित विनिवेश वित्त वर्ष 2024-25 में होने की संभावना है. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि बाजार स्थितियां अनुकूल बनी रहें. यदि सरकार एससीआई में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच देती है, तो इससे 12,500-22,500 करोड़ रुपये प्राप्त हो सकते हैं."

इन कंपनियों में भी होना है विनिवेश

रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जिन अन्य कंपनियों में विनिवेश की संभावना है, उनमें कॉनकॉर और पवन हंस शामिल हैं. हालांकि, इन मामलों में प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही है. सरकार ने पिछले 10 साल में विनिवेश से 5.2 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर 11.5 लाख करोड़ रुपये जुटा सकती है और वह 51 प्रतिशत से कम हिस्सेदारी लाये बिना यह हासिल कर सकती है.