भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) आज, 3 अप्रैल, 2023 को नए वित्त वर्ष की पहली बैठक कर रही है. बता दें कि गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में होने वाली तीन दिवसीय MPC मीटिंग 6 अप्रैल 2023 को नीतिगत ब्याज दर संबंधी फैसले के साथ समाप्त होगी. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि RBI एक बार फिर रेपो दर में 0.25% की बढ़ोतरी कर सकता है. ऐसे यह जानना जरूरी है कि दरों पर फैसला लेने के दौरान किन बातों पर ज्यादा फोकस किया जाएगा...महंगाई पर या फिर दुनिया के अन्य केंद्रीय बैंकों के फैसले पर..

खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर

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जानकारों का मानना है कि खुदरा महंगाई दर के 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बने रहने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व समेत अन्य कई केंद्रीय बैंकों के आक्रामक रुख के बीच रिजर्व बैंक एमपीसी की समीक्षा बैठक में यह फैसला कर सकता है.

RBI की मौद्रिक नीति के निर्धारण संबंधी सर्वोच्च संस्था मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक समीक्षा बैठक 3 अप्रैल 2023 से 6 अप्रैल 2023 तक चलेगी. ये एक अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष 2023-24 की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक होगी. RBI ने मई, 2022 से अभी तक रेपो रेट में 2.50 तक बढ़ोतरी की है, जो चार फीसदी से बढ़कर 6.50 फीसदी हो चुकी है. RBI ने पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के फरवरी में संपन्न MPC बैठक में रेपो दर में 0.25 फीसदी का इजाफा किया था.

खुदरा महंगाई दर स्तर RBI के 6% के संतोषजनक स्तर से ज्यादा

उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर जनवरी में 6.52% और फरवरी में 6.44% के स्तर पर रही है. खुदरा महंगाई दर का स्तर RBI के 6% के संतोषजनक स्तर से ज्यादा है.

महंगाई एजेंडा में सबसे ऊपर क्या ?

  • RBI कानूनी रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि मुद्रास्फीति दोनों तरफ 2% के मार्जिन के साथ 4% पर बनी रहे.
  • भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में डिमांड फोर्स को दबाने के लिए एक मौद्रिक नीति साधन के रूप में ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है, उम्मीद है कि यह मुद्रास्फीति को कम करेगा.

महंगाई पर RBI के फैसलों का क्या हुआ असर ?

  • मई 2022 से लगातार छह बढ़ोतरी के साथ, RBI ने संचयी 250 bps से दरों में वृद्धि की है.
  • याद हो आखिरी बार फरवरी की शुरुआत में ही अंतिम MPC में, RBI ने मुद्रास्फीति को मैनेज करने के लिए रेपो दर को 25 bps से बढ़ाकर 6.5% करने का फैसला किया था।

अभी ट्रेंड में क्या ?

  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर मुद्रास्फीति 6% की सीमा से ऊपर रही है.
  • खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में मामूली रूप से गिरी, लेकिन लगातार दूसरे महीने RBI के 6% अपर टोलरेंस बैंड से ऊपर रही, जो कि 6.44% थी.
  • वहीं जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति 6.52% थी.

इस बार क्या होगा बड़ा चैलेंज ?

  • बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बाद प्रत्याशित अल नीनो ने इस वर्ष कृषि गतिविधियों को खतरे में डाल दिया है.
  • विशेषज्ञों का कहना है कि वस्तुओं की कमी हो सकती है, जिससे मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है.
  • इस वर्ष संभावित गर्मी से खाद्य-मुद्रास्फीति के जोखिम का सामना हो सकता है.

उधारकर्ताओं की क्या है स्थिति ?

RBI की अंतिम दर वृद्धि ने ऋणों को महंगा बना दिया है, उदाहरण के रूप में होम लोन एक साल पहले के 6.6% के रिकॉर्ड निम्न स्तर से बढ़कर 9% हो गया है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र और 260 से अधिक सहायक उद्योगों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है.

ब्याज दरें बढ़ोंगी या कोई बदलाव नहीं होगा?

  • SBI रिसर्च के इकोरैप को उम्मीद है कि RBI अपनी ब्याज दर वृद्धि को मौजूदा 6.5% पर रोक देगा.
  • वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि RBI अंतिम रूप से 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकता है.

अच्छी खबर

यूएस और यूरोप के सभी प्रमुख तेज गति वाले आर्थिक संकेतक बेहतर हो रहे हैं.

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(PBNS इनपुट के साथ)