RBI MPC Meeting Begins: रेपो रेट पर बैठक शुरू, कब आएगा फैसला, नोट करें डेट और टाइम
RBI MPC meeting: यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी. एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी. आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. उसके बाद लगातार छह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इसे यथावत रखा गया है.
केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए पहली मीटिंग आज बुधवार से शुरू हो गई है. केंद्रीय बैंक की समिति हर दो महीनों पर मिलती है और मॉनेटरी पॉलिसी पर फैसला लेती है. लगातार छह बार से रेपो रेट को स्थिर रखा जा रहा है और इस बार भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं कि लगातार सातवीं बार भी रेट जस के तस रहेंगे. हालांकि, अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि इस वित्त वर्ष में कटौती भी देखने को मिल सकती है. आनंदराठी ग्रुप के फाउंडर एंड चेयरमैन आनंद राठी ने Zee Business से बातचीत में कहा कि Fiscal डेफेसिट कम होने वाला है. और आरबीआई सितम्बर से दिसंबर के बीच में इंटरेस्ट रेट घटाने पर फैसला ले सकता है.
कब आएगा रेपो रेट पर फैसला?
मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा 5 अप्रैल को की जाएगी. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास उस दिन सुबह 10 बजे एक ब्रॉडकॉस्ट में देश की मौद्रिक नीति की घोषणा करेंगे. इसके बाद दोपहर 12 बजे के आसपास आरबीआई गवर्नर और आरबीआई ऑफिस के शीर्ष अधिकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें नीति और अर्थव्यवस्था को लेकर सवालों के जवाब देंगे.
बता दें कि यह वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा होगी. एक अप्रैल, 2024 से शुरू वित्त वर्ष में एमपीसी की छठ बैठकें होगी. आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो दर बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था. उसके बाद लगातार छह द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में इसे यथावत रखा गया है.
क्या फैसला ले सकता है RBI MPC?
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस सप्ताह पेश मौद्रिक नीति समीक्षा एक बार फिर नीतिगत दर को यथावत रख सकता है. इसका कारण आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता दूर होने और इसके करीब आठ प्रतिशत रहने के साथ केंद्रीय बैंक का अब और अधिक जोर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर हो सकता है. साथ ही नीतिगत दर पर निर्णय लेने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों के रुख पर गौर कर सकती है. ये केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में कटौती को लेकर स्पष्ट रूप से ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपना रहे हैं.
विकसित देशों में स्विट्जरलैंड पहली बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसने नीतिगत दर में कटौती की है. वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान आठ साल बाद नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति को समाप्त किया है.