RBI MPC: 8-10 अगस्त के बीच चली आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी के नतीजे आ गए हैं. आरबीआई के फैसले ने इस बार लोगों को थोड़ी राहत दी है और रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. यानी रेपो रेट पहले की तरह 6.5% ही रहेगा. रेपो रेट न बढ़ने से लोन भी महंगे नहीं होंगे और ईएमआई भी नहीं बढ़ेगी. फरवरी से अबतक यह तीसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट स्थिर रखे हैं.

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इसके अलावा आरबीआई गवर्नर ने अपनी स्‍पीच में जुलाई से अगस्‍त में महंगाई बढ़ने की संभावना जताई है. उन्‍होंने कहा कि सब्जियों की कीमत बढने से महंगाई पर असर पड़ा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इंडियन इकोनॉमी में मजबूती बनी हुई है. दूसरे देशों के मुकाबले भारत ग्‍लोबल चुनौतियों से निपटने में ज्‍यादा सक्षम है.ग्‍लोबल स्‍तर पर ब्‍याज दरें लंबे समय में बढ़ी रहेंगी. 

खुदरा महंगाई दर का अनुमान 

FY24 खुदरा महंगाई 5.1 फीसदी से बढ़ाकर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान है. Q1 FY24 - 5.4 फीसदी, Q2 FY24- 6.2 फीसदी Q3 FY24 - 5.7 फीसदी, Q4 FY24- 5.2 फीसदी रह सकती है. वहीं FY 25 में CPI 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है. CRR- 4.5% पर बरकरार रहेगा. इस बीच आरबीआई गवर्नर ने बताया कि सरप्‍लस लिक्विडिटी में बढ़ोतरी हुई है. 2000 रुपए के नोट आने से लिक्विडिटी बढ़ी है.

क्‍या होती है महंगाई दर

जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को महंगाई (Inflation) कहते हैं. इसे जब प्रतिशत में व्यक्त करते हैं तो यह महंगाई दर कहलाती है किसी वस्तु की कीमत एक साल पहले क्या थी और वर्तमान में उसकी कीमत क्या है, इसके अंतर से मुद्रास्फीति का पता चलता है. बता दें कि आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक हर दो महीने में होती है. वैसे विशेष परिस्थिति में कमिटी कभी भी अपने अचानक लिए फैसले का ऐलान कर सकती है. मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी या एमपीसी, महंगाई के टारगेट को हासिल करने के लिए जरूरी नीतिगत दर यानी रेपो रेट तय करता है.