RBI MPC: आपका चल रहा है होम लोन तो अगले महीने झटके के लिए रहें तैयार, फिर बढ़ सकती है EMI
RBI Monetary Policy: डीबीएस ग्रुप रिसर्च (DBS Group Research) के मुताबिक, RBI एक बार फिर से रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी कर सकता है. आरबीआई महंगाई कम करने के प्रयास के तहत अगले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25% की बढ़ोतरी कर सकता है.
RBI Monetary Policy: अगर आपका होम लोन चल रहा है तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर से आपको झटका दे सकता है. डीबीएस ग्रुप रिसर्च (DBS Group Research) के मुताबिक, RBI एक बार फिर से रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी कर सकता है. आरबीआई महंगाई कम करने के प्रयास के तहत अगले महीने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.25% की बढ़ोतरी कर सकता है. बता दें कि रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी का सीधा असर लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा और आपके लोन की ईएमआई (EMI) में बढ़ोतरी होगी.
RBI बढ़ती कीमतों को काबू में लाने के लिए रेपो रेट (Repo Rate) में पिछले साल मई से 2.50% तक बढ़ोतरी कर चुका है. फरवरी में 0.25% इजाफा से रेपो रेट 6.50% हो गई है. आरबीआई की अगली मॉनिटरी पॉलिसी 6 अप्रैल को निर्धारित है.
ये भी पढ़ें- NFO से कमाई का मौका! नई स्कीम लॉन्च, ₹5000 से शुरू करें निवेश, जानिए पूरी डीटेल
रेपो रेट में 25 bps की हो सकती है बढ़ोतरी
इकोनॉमिक ग्रोथ और महंगाई पर ऑनलाइन सेशन में DBS ग्रुप रिसर्च की एग्जक्यूटिव डायरेक्ट और सीनियर इकोनॉमिस्ट राधिका राव ने कहा कि RBI अप्रैल में Repo Rate में 0.25% की बढ़ोतरी कर सकता है क्योंकि खुदरा महंगाई अभी भी ऊंची है. खुदरा महंगाई दिसंबर, 2022 में 5.72% थी जबकि जनवरी, 2023 में बढ़कर 6.52 हो गई. हालांकि फरवरी में यह थोड़ी नरम पड़कर 6.44% रही.
मौसम पर रहेगी नजर
राव ने हालांकि कहा कि सप्लाई साइड की दिक्कतों के कारण होने वाली महंगाई को अकेले मौद्रिक नीति से नहीं निपटाया जा सकता है. उन्होंने कहा, एग्रीकल्चर सेक्टर के लिये मौसम की स्थिति महत्वपूर्ण है. स्थानीय मौसम विभाग ने कहा है कि अगले तीन महीने तापमान ऊंचा देखने को मिल सकता है. जून-जुलाई में आने वाला मानसून महत्वपूर्ण है. मौसम, महंगाई और कृषि उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह क्षेत्र लगभग 45% आबादी को रोजगार देता है. उन्होंने कहा कि महंगाई अभी भी लक्ष्य के उच्चतम स्तर पर है.
ये भी पढ़ें- 2 महीने की ट्रेंनिग के बाद मिला मुनाफे वाली खेती का आइडिया, अब सालाना ₹25 लाख का हो रहा है कारोबार
राव ने कहा कि दिसंबर तिमाही में मुख्य रूप से ऊंचे आधार की वजह से विकास दर में कमी आई है. हालांकि, 2023 में पीएमआई डेटा, ऑटो बिक्री और जीएसटी कलेक्शन (GST Collection) उछाल दिखा रहा है. लेकिन, बचत में कमी आई है.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें