रिजर्व बैंक ने लगातार तीसरी बार घटाई ब्याज दरें, 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान
लगातार तीसरी बार आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है. आरबीआई अब बैंकों को 5.75 फीसदी पर कर्ज उपलब्ध कराएगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपने क्रेडिट पॉलिसी जारी कर दी है. आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती का ऐलान किया है. लगातार तीसरी बार आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है. आरबीआई अब बैंकों को 5.75 फीसदी पर कर्ज उपलब्ध कराएगा. इस कटौती के बाद रेपो रेट 9 साल में सबसे कम हो गया है. इससे पहले आरबीआई ने अपनी फरवरी और अप्रैल की पॉलिसी में भी RBI ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी.
शक्तिकांता दास के गवर्नर बनने के बाद यह लगातार तीसरी कटौती है. मॉनिटरी पॉलिसी के सभी सदस्यों ने दरें घटाने के पक्ष में वोट किया. अब तक तीन पॉलिसी में 0.75 फीसदी की कटौती की जा चुकी है.
रिवर्स रेपो रेट में भी कटौती
आरबीआई ने पॉलिसी में रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव किया है. रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया गया है. हालांकि, CRR में कोई बदलाव नहीं किया गया है. CRR को 4 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. खास बात यह है कि आरबीआई ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव किया है.
GDP ग्रोथ अनुमान घटाया
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए GDP ग्रोथ घटाकर 7.1 फीसदी कर दिया है. अपने पिछले पॉलिसी रिव्यू में RBI ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए GDP की ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी किया था.
महंगाई अनुमान में बदलाव
वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आरबीआई ने महंगाई अनुमान बढ़ाया है. पहली छमाही में CPI महंगाई दर के लिए अनुमान 3-3.1 फीसदी रखा गया है. वहीं, दूसरी छमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 3.4-3.7 फीसदी रखा गया है.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है. रेपो रेट कम होने का लाभ ग्राहकों तक भी पहुंचता है. बैंक अपने ग्राहकों को सस्ती दर पर लोन ऑफर करते हैं.