RBI Repo rate hike: अगस्‍त महीने में खुदरा महंगाई दर (CPI) 7 फीसदी पर पहुंच गई. यह लगातार आठवां महीना है, जब खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक की अपर लिमिट यानी 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है. NSO के आंकड़े बताते हैं कि फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की कीमतों में उछाल के चलते खुदरा महंगाई में तेजी आई है. खास बात यह है कि रूरल और अर्बन CPI दोनों में ही उछाल देखने को मिला है. अगस्त में रूरल इंफ्लेशन 7.15 फीसदी और अर्बन इंफ्लेशन 6.72 फीसदी रहा. खुदरा महंगाई के इन आंकड़ों में एक फैक्‍ट यह भी है कि दुनियाभर के बाजारों में अनाजों की कीमतों में नरमी के बावजूद भारत में भाव बढ़े हैं. अर्थशास्‍त्री मानते हैं, कि मौजूदा महंगाई सप्‍लाई साइड की दिक्‍कतों के चलते हैं. वहीं, महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक भी सितंबर की पॉलिसी में ब्‍याज दरों में एक बार इजाफा कर सकता है. अनुमान जताया जा रहा है कि रेपो रेट में 35-50 बेसिस प्‍वाइंट का इजाफा हो सकता है. 

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SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्‍य कांति घोष की रिपोर्ट (इकोरैप) के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर खाने-पीने की चीजों की महंगाई खासकर अनाज और सब्जियों की दाम बढ़ने से बढ़ी है. असमान बारिश का सब्जियों की सप्‍लाई पर असर हुआ. अनाज की कीमतों में एक चौंकाने वाली बात यह है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजारों में भाव लगातार कम हो रहे हैं, इसके बावजूद भारत में कीमतों में इजाफा हुआ है.

काला सागर में नया समुद्री मार्ग खुलने से अनाज की कीमतों में नरमी आ सकती है, लेकिन सभी अनाजों में एक जैसी स्थिति नहीं है. एक फैक्‍ट यह भी रहा कि प्रोटीन रिच आइटम जैसे अंडे की कीमतों में निगेटिव ग्रोथ आई, मीट के दाम में गिरावट रही है. यह ट्रेंड सरप्राइजिंग इसलिए है क्‍योंकि मौजूदा महंगाई प्रोटीन रिच आइटम्‍स के चलते नहीं है. काला सागर के नए रूट से सामानों की सप्‍लाई होने से कई फूड आइटम्‍स खासकर ऑयल के दाम नरम होंगे.

क्‍यों बढ़ी खुदरा महंगाई दर?

SBI रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर में आए उछाल की वजह सप्‍लाई साइड फैक्‍टर हैं. मई में सप्‍लाई साइड की दिक्‍कतों के चलते खुदरा महंगाई 65 फीसदी बढ़ी थी. जुलाई में यह घटकर 58 फीसदी रही. लेकिन अगस्‍त में फिर यह बढ़कर 61 फीसदी हो गई. इससे साफ है कि सप्‍लाई साइड दिक्‍कतों के चलते भारत में महंगाई में उछाल आया है.

अगस्‍त में बिनमौसम बारिश ने सप्‍लाई को दिक्‍कतें पैदा की. डिमांड फैक्‍टर लगातार अपने दायरे में बने हुए हैं. कीमतों में बढ़ोतरी के बीच, सामानों की महंगाई बनी हुई है, जबकि सर्विसेज की महंगाई में नरमी आई है. खुदरा महंगाई में सामानों की महंगाई का वेटेज 70 फीसदी और सर्विसेज का 30 फीसदी है. अगस्‍त में सर्विसेज की महंगाई दर घटकर 5 फीसदी पर आ गई, जबकि गुड्स की 7.9 फीसदी बढ़ी है. सर्विसेज में हाउसिंग एंड एजुकेशन की कीमतों में इजाफा हो रहा है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि रीयल एस्‍टेट मार्केट में महामारी के बाद से लगातार रिकवरी आ रही है.

RBI 0.50% बढ़ाएगा ब्‍याज दरें  

SBI रिसर्च का मानना है कि खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए सितंबर पॉलिसी में रिजर्व बैंक (RBI) पॉलिसी दरों में इजाफा कर सकता है. हालांकि, यह देखने वाली बात है कि ब्‍याज दरों में कितनी बढ़ोतरी होती है. ऐसा आकलन है कि 35 से 50 बेसिस प्‍वाइंट (0.35 फीसदी से 0.50 फीसदी) के बीच रेपो रेट में इजाफा हो सकता है. सितंबर के बाद से ब्‍याज दरों में मामूली बढ़ोतरी ही देखने को मिलेगी, क्‍योंकि चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी छमाही (H2FY23) में महंगाई दर में गिरावट देखने को मिल सकती है. रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग 28-30 सितंबर 2022 को होने वाली है.