RBI Governor Exclusive: कोविड-19 महामारी जैसी संकट के समय देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को संभालने और बैंकों और ग्राहकों को मोनेटाइजेशन जैसी सुविधा देने वाले रिजर्व बैंक के सामने चुनौतियां अभी भी कम नहीं हैं. ग्लोबल चैलेंजेज की वजह से महंगाई एक बड़ा मुद्दा है. लेकिन, आरबीआई महंगाई और ग्रोथ को कैसे संभालेगा. इस पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी को दिया हिंदी इंटरव्यू. इसमें सभी पहलुओं पर चर्चा की गई. आइये जानते हैं. 

RBI गवर्नर का EXCLUSIVE इंटरव्यू

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सबसे पहले ज़ी बिज़नेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी का हिंदी में इंटरव्यू करने के लिए धन्यवाद किया. उन्होंने कहा- हम सब देश में हिंदी मां का पालन कर रहे हैं और हिंदी सप्ताह मना रहे हैं. हिंदी इंटरव्यू के लिए आभारी हूं.

महंगाई को काबू करने के लिए क्या है प्लान?

महंगाई पर बोलते हुए शक्तिकांत दास ने कहा- महंगाई ग्लोबल स्तर पर ज्यादा है. आज ये एक वैश्विक मुद्दा है. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे देशों में महंगाई काफी ज्यादा है. हालांकि, अमेरिका में पिछले कुछ दिनों में इसमें सुधार हुआ है. लेकिन, यूरोपियन जोन में देखें तो ये अभी भी चिंता का विषय है. भारत में भी महंगाई का पीक बन चुका है. पिछले डेटा में महंगाई 7.8% के साथ पीक पर रही. अब धीरे-धीरे इसके कम होने की उम्मीद है. खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी आई है. इंटरनेशनल क्रूड प्राइस काफी कम हुआ है. हमने इसकी रेंज 105 डॉलर प्रति बैरल के आसपास का अनुमान लगाया था. लेकिन, ये अभी 94-95 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. इसे देखते हुए लगता है अगले साल जून तक महंगाई 5% तक आ सकती है. हालांकि, अभी भी ग्लोबल इन्फ्लेशन काफी ज्यादा रहने का अनुमान है. इससे अस्थिरता रह सकती है.

आगे ब्याज दर बढ़ेंगी या नहीं?

RBI गवर्नर ने इस सवाल पर कहा- मौजूदा स्थिति में ब्याज दरों का अनुमान देना संभव नहीं है. महंगाई हमेशा से आरबीआई की प्राथमिकता पर रही है. पॉलिसी में जो भी फैसला हुए हैं या आगे होंगे उसको देखकर लगता है हम राइट ट्रैक पर हैं. वक्त की जरूरत के हिसाब से ही फैसले लेने चाहिए और उसके मुताबिक ही हम कदम उठा रहे हैं. फिलहाल, चिंता की कोई बात नहीं दिख रही है. लेकिन, किसी भी चैलेंज के लिए तैयार रहना चाहिए. वैसे भी ये बहुत सारे फैक्टर्स पर निर्भर करता है कि ब्याज दरों में बदलाव होगा या नहीं. डोमेस्टिक इनकमिंग डेटा और ग्लोबल डेवलपमेंट के साथ ही ब्याज दरों पर फैसला लेंगे. कोविड के दौरान जब जरूरत थी हमने रेट कट किया था और स्थिति के मुताबिक ही कट किया था. अब स्थितियां बदल रही हैं, लेकिन फिर भी ब्याज दरों पर फॉरवर्ड गाइडेंस देना अभी मुश्किल है. 

ग्रोथ और महंगाई के बीच कैसे तालमेल कर रहे हैं और महंगाई को काबू करने के लिए ग्रोथ इम्पैक्ट होने देंगे?

शक्तिकांत दास ने कहा- महंगाई नियंत्रण के फैसले से ग्रोथ पर मामूली असर हमेशा होता है. महंगाई किसी भी देश के लिए बड़ी चिंता होती है. महंगाई कंट्रोल करने के साथ ग्रोथ को माइंड में रखना चाहिए. आरबीआई एक्ट में ये बात साफ है. हमारा फोकस हमेशा रहता है महंगाई को काबू करते वक्त ग्रोथ पर असर कम से कम हो. अभी की स्थितियां ग्लोबल चैलेंजेज काफी महत्वपूर्ण हैं. ग्लोबल डिमांड में गिरावट आई है. ग्लोबल स्तर पर एक्सपोर्ट सेक्टर काफी बड़ा रोल रहता है. इंटरनेशनल स्लो डाउन का असर भी भारत पर दिखता है. ऐसे में ग्रोथ पर वैश्विक मांग का असर दिखना स्वभाविक होता है. ग्लोबल ग्रोथ बढ़ने के साथ डोमेस्टिक ग्रोथ भी बढ़ेगी. डोमेस्टिक फैक्टर पर भी काफी निर्भरता रहती है. लेकिन, एग्रीकल्चर सेक्टर काफी अच्छा कर रहा है. अच्छे मॉनसून के चलते एग्री सेक्टर से बेहतर उम्मीद है. इंडस्ट्री, सर्विस सेक्टर, क्रेडिट ग्रोथ सब अच्छा है. इकोनॉमिक एक्टिविटी अच्छी चल रही हैं. रूरल और अर्बन सेक्टर की डिमांड में भी सुधार.

क्रेडिट ग्रोथ काफी जबरदस्त है इसको कैसे देखते हुए क्योंकि, GDP ग्रोथ तो अनुमान से कम है?

शक्तिकांत दास ने कहा- क्रेडिट ग्रोथ काफी अच्छी रही है. Q1 GDP ग्रोथ अनुमान से कम है. लेकिन, क्रेडिट ग्रोथ का सेक्टर के आधार पर आंकलन कर रहे हैं. बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ पर RBI हमेशा नजर रखता है. क्रेडिट ग्रोथ इसलिए ज्यादा दिख रही है क्योंकि, इसे पिछले साल के मुकाबले देख रहे हैं, पिछले साल जो गिरावट थी उस पर ये ग्रोथ हो रही है. RBI समय-समय पर बैंकों को आगाह करता रहता है. सुपरविजन के तौर पर ह सेक्टर वाइज एनालिसिस करते हैं कि क्रेडिट ग्रोथ कहां ज्यादा है. रिटेल लेंडिंग, रियल एस्टेट लेंडिंग में जहां जरूरत होती है वहां क्रेडिट ग्रोथ को देखा जाता है. बैंकों से ग्रोथ ज्यादा होने पर रिपोर्ट मांगते हैं. इंटरनल रिव्यू करने की सलाह दी जाती है कि आपका रिस्क बिल्ड अप हो रहा है. RBI की तरफ से दो चीजें होती हैं रिस्क असेसमेंट और रिस्क मैनेजमेंट. रिस्क असेसमेंट आरबीआई करता है लेकिन, रिस्क मैनेजमेंट कंपनियों को करना होता है.

कंज्यूमर के लिहाज से आरबीआई की क्या कोशिश रहती है. ब्याज दर और डिपॉजिट दर में बड़ा गैप दिख रहा है. इस गैप के कम होने के आसार हैं?

आरबीआई गवर्नर ने कहा- जितने भी लेंडिंग रेट हैं वो एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्ड है. MCLR से लेंडिंग रेट लिंक और तुरन्त रिफ्लैक्शन दिखता है. जैसे ही आरबीआई रेट बढ़ाता या घटाता है तो होम लोन रेट पर बैंक चेंज कर देते हैं. लेकिन, डिपॉजिट में थोड़ा लैग रहता है. डिपॉजिट पर भी ब्याज दर तेजी से बढ़ना चाहिए. शक्तिकांत दास ने कहा कम होने के समय तेजी से कम होता है, लेकिन बढ़ने के साथ बढ़ता उतना तेजी से नहीं. लेकिन, पिछले कुछ समय में बैंकों ने नए डिपॉजिट स्कीम लॉन्च की हैं. कुछ बैंकों ने रेट भी रिवाइज किए हैं. हालांकि, उतनी तेजी से डिपॉजिट पर ब्याज नहीं बदला है. हमने लिक्विडिटी मैनेजमेंट पॉलिसी लागू की है, इसमें बैंकों के पास जमा होने वाली ज्यादा नकदी वापस ले रहे हैं. आगे भी लिक्विडिटी का ख्याल रखेंगे. इससे आप देखेंगे की डिपॉजिट पर भी रेट बढ़ेंगे.

लेंडिंग ऐप्स को लेकर आरबीआई ने एक्शन तो किया है लेकिन अभी क्या हो रहा है और क्या होना बाकी है?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत ने कहा- डिजिटल लेंडिंग से जुड़े ऐप में ट्रांसपेरेंसी पर फोकस है. ज़ी बिज़नेस की मुहिम "ऑपरेशन हफ्ता वसूली" के आधार पर कार्रवाई की गई है. डिजिटल लेंडिंग ऐप्स की गाइडलाइंस तैयार हैं और जारी कर दी गई है. ये पूरी तरह से कंज्यूमर सेंट्रिक गाइडलाइन हैं. रिस्स असेसमेंट और रिस्क मिटिगेशन को लागू किया है. सिर्फ रेगुलेटेड कंपनियां ही लोन दे सकती हैं. NBFC के अंदर या थर्ड पार्टी के तौर पर काम करने वाली कंपनियां लोन नहीं दे सकती है. अगर किसी के साथ कोई गड़बड़ी होती है तो आरबीआई को सीधे शिकायत करें, कानूनन भी शिकायत कर सकते हैं.

UPI पेमेंट लगातार बढ़ा है लेकिन साइबर फ्रॉड के भी नए तरीके सामने आए हैं, इन्हें कैसे रेगुलेटेड करेंगे?

शक्तिकांत दास ने कहा धोखाधड़ी से ग्राहकों को बचाने के लिए जागरुकता अभियान चला रहे हैं. ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी होने पर पहले शाखा से संपर्क करने की सलाह दी जाती है. फ्रॉड कई तरह से होते हैं. SMS के जरिए लिंक पर क्लिक करें या फिर लोन के नाम पर ठगी की जाती है. बैंकों के नाम पर KYC वेरिफाई के लिए क्लिक करें टाइप फ्रॉड सामने आते हैं. इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम चला रहे हैं. अगर आपके पास ऐसा कोई मैसेज आए तो बैंक ब्रांच से सीधे संपर्क करें. तुरन्त बैंक में शिकायत करें, वॉयस मेल या कॉल सेंटर पर शिकायत करें. बैंक ओम्बडसमेंड के पास 30 दिन में शिकायत दर्ज कराना बैंकों की जिम्मेदारी है. अगर वहां से बैंक कुछ नहीं करता तो ग्राहक RBI के पास भी आ सकते हैं.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का पूरा इंटरव्यू नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं.