RBI on Inflation: छह साल पहले मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) लगातार नौ महीनों तक महंगाई को निर्धारित दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा. वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था. उसके बाद से एमपीसी ही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई बनी हुई है. एमपीसी ढांचे के तहत सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि महंगाई 4% (2% घट-बढ़ के साथ) से नीचे बनी रहे.

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हालांकि, इस साल जनवरी से ही मुद्रास्फीति लगातार 6% से ऊपर बनी हुई है. सितंबर में भी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.4% पर दर्ज की गई. इसका मतलब है कि लगातार 9 महीनों से महंगाई 6% के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.

महंगाई रोकने में नाकाम रही RBI

महंगाई का यह स्तर दर्शाता है कि आरबीआई अपना निर्दिष्ट दायित्व निभाने में असफल रहा है. दरअसल, आरबीआई अधिनियम की धारा 45ZN में प्रावधान है कि लगातार तीन तिमाहियों यानी लगातार नौ महीनों तक महंगाई के निर्धारित स्तर से ऊपर रहने पर केंद्रीय बैंक को अपनी नाकामी के बारे में सरकार को एक समीक्षात्मक रिपोर्ट सौंपनी होगी.

इस रिपोर्ट में आरबीआई को यह बताना होता है कि महंगाई को काबू में रख पाने में उसकी नाकामी की क्या वजह रही? इसके साथ ही आरबीआई को यह भी बताना होता है कि वह स्थिति को काबू में लाने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है.

3 नवंबर को MPC की विशेष बैठक

इन वैधानिक प्रावधानों और महंगाई के मौजूदा स्तर को देखते हुए RBI ने 3 नवंबर को MPC की विशेष बैठक बुलाई है जिसमें सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा. एमपीसी के छह-सदस्यीय पैनल की अगुवाई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे. आरबीआई ने पिछले गुरुवार को जारी बयान में कहा था कि आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन के प्रावधानों के अनुरूप तीन नवंबर को एमपीसी की एक अतिरिक्त बैठक बुलाई जा रही है. यह धारा मुद्रास्फीति को तय दायरे में रख पाने में विफलता से जुड़े प्रावधान निर्धारित करती है.

सरकार ने 31 मार्च,2021 को जारी एक अधिसूचना में कहा था कि मार्च, 2026 तक आरबीआई को मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (2 प्रतिशत अधिक या दो प्रतिशत कम) के भीतर रखना होगी. इस तरह सरकार ने पांच वर्षों के लिए महंगाई को अधिकतम 6 प्रतिशत तक रखने का दायित्व आरबीआई को सौंपा था.

3 साल के हाई पर रेपो रेट

लेकिन वर्ष 2022 इस लक्ष्य की दिशा में असफल साबित हुआ है. जनवरी से लेकर सितंबर तक लगातार महंगाई 6 प्रतिशत से अधिक रही है. इसपर काबू पाने के लिए आरबीआई ने एमपीसी की सिफारिश पर नीतिगत रेपो दर को पिछले पांच महीनों में 1.90% तक बढ़ा दिया है. अब रेपो दर 5.90% हो चुकी है जो इसका तीन साल का सर्वोच्च स्तर है.