रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने कहा कि भारत 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है. अगर ऐसा हुआ तो वह चीन को पीछे छोड़ देगा. उन्होंने एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि इसके लिए भारत को लेबर प्रोडक्टिविटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, GDP में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का योगदान और सस्टेनेबल ग्रोथ  को लेकर तमाम चुनौतियों से पार पाना होगा. अगर इन पहलुओं को ध्यान रखा गया तो 2060 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

9.6% की दर से ग्रोथ करने पर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है

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उन्होंने कहा, ”मैंने जिन अंतर्निहित शक्तियों का जिक्र किया है और अपने आकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने के संकल्प को देखते हुए, यह कल्पना करना संभव है कि भारत अगले दशक में 2048 तक नहीं, बल्कि 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2060 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.” रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि भारत अगले दस वर्षों में 9.6 फीसदी प्रति वर्ष की दर से वृद्धि करता है, तो यह निम्न मध्यम आय के जाल से मुक्त हो जाएगा और एक विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

पर कैपिटा इनकम में सुधार लाना होगा

पात्रा ने कहा कि अगर सस्टेनेबल ग्रोथ रेट मेंटेन रहेगा तो पर कैपिटा इनकम में सुधार आना चाहिए. हालांकि 2047 तक, विकसित देश के लिए पर कैपिटा इनकम की लिमिट 34,000 अमेरिकी डॉलर तक करने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि बाजार में निर्धारित वर्तमान विनिमय दरें अस्थिरता के दौर से गुजर रही हैं. इसलिए राष्ट्रीय मुद्राओं में मापी गई जीडीपी की दूसरे देश से तुलना नहीं की जा सकती. ऐसे में एक वैकल्पिक उपाय परचेजिंग पावर पैरिटी है. यह प्रत्येक देश में औसतन वस्तुओं और सेवाओं की कीमत से संबंधित है.

PPP आधार पर भारत थर्ड लार्जेस्ट इकोनॉमी

पात्रा ने कहा कि पीपीपी के आधार पर तुलना करें तो स्थिति नाटकीय रूप से बदल जाती है. इस आधार पर भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का अनुमान है कि पीपीपी के संदर्भ में भारत 2048 तक अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.