India GDP Growth: जापानी ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा (Nomura) ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ‘साइक्लिकल ग्रोथ स्लोडाउन’ के दौर में प्रवेश कर चुकी है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का 7.2% की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की ग्रोथ का अनुमान अब ‘अत्यधिक आशावादी’ लग रहा है. नोमुरा ने कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6.7% और वित्त वर्ष 2025-26 में 6.8% ग्रोथ के अपने अनुमानों को लेकर ‘बढ़ते हुए नकारात्मक जोखिम’ दिखाई दे रहे हैं.

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नोमुरा ने एक रिपोर्ट में कहा, भारत की अर्थव्यवस्था चक्रीय वृद्धि में नरमी के दौर में प्रवेश कर चुकी है. संयोग और प्रमुख वृद्धि संकेतक जीडीपी वृद्धि में आगे और नरमी का इशारा कर रहे हैं. वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रिजर्व बैंक का 7.2 प्रतिशत का पूर्वानुमान अत्यधिक आशावादी है.

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शहरी मांग में कमजोरी जारी रहने की आशंका

आरबीआई (RBI) ने इस महीने की शुरुआत में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने ग्रोथ अनुमान को 7.2% पर बरकरार रखा है जबकि कुछ पर्यवेक्षक इस आंकड़े में कटौती करते हुए नजर आ रहे हैं. नोमुरा ने कहा कि शहरी खपत से जुड़े संकेतक हाल ही में नरम पड़े हैं और यात्री वाहन बिक्री में गिरावट, हवाई यात्री यातायात में कमी और दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली कंपनियों के आंकड़े भी कमजोर शहरी मांग को दर्शा रहे हैं. ब्रोकरेज ने कहा, हमारा मानना ​​है कि शहरी मांग में यह कमजोरी जारी रहने की आशंका है. 

नोमुरा ने कंपनियों का वेतन व्यय कम होने का जिक्र करते हुए कहा कि कंपनियों का वास्तविक वेतन और मजदूरी व्यय अब तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में मुद्रास्फीति (Inflation) के लिए समायोजित होने पर 0.8% घटा है. नोमुरा ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में यह 1.2%, वित्त वर्ष 2023-24 में 2.5% और वित्त वर्ष 2022-23 में 10.8% था. संभवतः नाममात्र की वेतनवृद्धि और कार्यबल में कटौती के मेल की वजह से ऐसा हुआ है.

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ब्रोकरेज फर्म ने कहा, महामारी के बाद दबी मांग आने से बना उछाल अब खत्म हो चुका है, मौद्रिक नीति सख्त है और असुरक्षित और अस्थिर डेट पर रिजर्व बैंक (RBI) की कार्रवाई का असर पर्सनल लोन में सुस्ती और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों द्वारा लोन ग्रोथ के रूप में नजर आ रहा है.

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