2016 में नोटबंदी लगने के बाद 2017-18 में 1.07 करोड़ नये करदाताओं ने रिटर्न फाइल किया. आयकर विभाग की मानें तो ड्रॉप्ड फाइलरों (पहले आईटीआर फाइल करने और बाद में न भरने वालों) की संख्या घटकर 25.22 लाख रह गई है. एक बयान में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में 6.87 करोड़ आयकर रिटर्न (ITR) फाइल किए गए जबकि 2016-17 में 5.48 करोड़ ITR फाइल हुए यानी इस मोर्चे पर 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

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नए ITR भरने वालों की संख्या बढ़कर 1.07 करोड़ हुई

इसके साथ 2017-18 में आईटीआर दाखिल करने वाले नए करदाताओं की संख्या बढ़कर 1.07 करोड़ हो गई जबकि 2016-17 में 86.16 लाख नए करदाता जुड़े थे. सीबीडीटी ने कहा, ‘‘नोटबंदी ने कर आधार और प्रत्यक्ष कर संग्रहण के दायरे में विस्तार में असाधारण रूप से सकारात्मक असर डाला.’’ 

क्‍या होता है ड्रॉप्‍ड फाइलर

ड्रोप्ड फाइलर ऐसे करदाता होते हैं जो पहले तो आईटीआर फाइल करने वालों में शामिल होते हैं लेकिन किन्हीं तीन लगातार वित्त वर्ष में आईटीआर फाइल नहीं करते. ऐसे लोगों की संख्या 2016-17 में 28.34 लाख थी जो घटकर 2017-18 में 25.22 लाख रह गई.

सीबीडीटी ने कहा कि 2016-17 की तुलना में 2017-18 में विशुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 18 फीसद बढ़कर 10.03 लाख करोड़ हो गया.