लोकसभा चुनाव 2024 में (Lok Sabha Election 2024) मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने विदिशा से 8 लाख 21 हजार मतों से जीत दर्ज कराई है. देखा जाए तो ये भाजपा के बड़े नेताओं के बीच सबसे बड़ी जीत है. इस जीत के साथ शिवराज सिंह ने एक बार ये फिर से साबित कर दिया है कि मध्‍यप्रदेश की जनता का भरोसा आज भी उनके साथ है. बता दें कि भारतीय जनता पार्टी में वे उन चंद नेताओं में शामिल हैं, जिनके पास काफी लंबे समय तक राज्‍य को चलाने का प्रशासनिक कौशल रहा है. 2023 में मध्‍यप्रदेश में जब विधानसभा चुनाव हुए तो शिवराज सिंह की 'लाडली बहना' योजना (Ladali Bahna Scheme) काफी हिट साबित हुई. 

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इस स्‍कीम ने सत्‍ता विरोधी लहर को भी पलट दिया. इसके बावजूद भी प्रदेश की कमान शिवराज की बजाय डॉ. मोहन यादव के हाथ में दे दी गई. ये वाकई सभी के लिए चौंकाने वाला फैसला था. अब एक बार फिर से 'मामा' ने अपना दम दिखाकर ये साबित कर दिया है कि आज भी जनता के बीच उनकी स्‍वीकार्यता काफी प्रबल है. अब लोगों के मन में ये सवाल है कि इतनी बड़ी जीत दर्ज कराने के बाद क्‍या इस बार शिवराज सिंह चौहान को कोई 'इनाम' दिया जाएगा?

पीएम मोदी ने चुनावी सभा में दिया था ये इशारा

ज्‍यादातर लोगों का मानना है कि शिवराज की क्षमता, अनुभव, ताकत और उनकी बेहतर छवि को देखते हुए इस बार भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उन्हें मंत्री बनाया जा सकता है. इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि चुनाव प्रचार के दौरान 24 अप्रैल को हरदा की सभा में नरेंद्र मोदी ने शिवराज की भावी भूमिका का इशारा जनता को दिया था. उस समय मोदी ने कहा था कि  'मैं शिवराज सिंह को दिल्ली ले जाना चाहता हूं. संगठन में मैं और शिवराज साथ काम करते थे. वो मुख्यमंत्री थे, तब मैं भी सीएम था. जब वे संसद पहुंचे, तब मैंने महामंत्री के नाते साथ काम किया.' इसके बाद से ये उम्‍मीद की जा रही है कि अब शिवराज सिंह को एनडीए सरकार में मंत्री बनाया जा सकता है या फिर उन्‍हें संगठन में कोई बड़ी जिम्‍मेदारी सौंपी जा सकती है.

क्‍लीन स्‍वीप के बावजूद MP को उठाना पड़ सकता है थोड़ा नुकसान

बता दें कि इस बार भाजपा को कुल 240 सीटें मिली हैं जो कि बहुमत से कम है. वहीं NDA को 292 सीटें मिली हैं. ऐसे में केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्‍व में एनडीए की गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है. हालांकि गठबंधन वाली सरकार होने का थोड़ा नुकसान मध्‍यप्रदेश को भी उठाना पड़ सकता है. MP में क्‍लीन स्‍वीप के बावजूद मंत्रिमंडल में कोटा थोड़ा कम हो सकता है. 

अब एनडीए को सहयोगी दलों को भी साथ लेकर चलना होगा. साल 2019 की जीत के बाद प्रदेश से पांच मंत्री बने थे, लेकिन अब की स्थितियों में संभव है कि मध्‍य प्रदेश से एक या दो मंत्री कम कर दिए जाएं. हालांकि इन सबके के बावजूद शिवराज सिंह चौहान का दावा मजबूत रहेगा. उन्‍हें मंत्री बनाए जाने या कोई बड़ी जिम्‍मेदारी दिए जाने की प्रबल संभावनाएं दिख रही हैं. हालांकि सही स्थिति तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगी.