पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का पत्‍ता कट चुका है. उनकी जगह भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जितिन प्रसाद को प्रत्‍याशी बनाया है. जितिन प्रसाद ने बुधवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. ऐसी चर्चाएं थीं कि वरुण गांधी बीजेपी से बगावत करके पीलीभीत से निर्दलीय लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन बुधवार को वरुण गांधी ने ऐलान करते हुए कहा क‍ि वे पीलीभीत सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. पीलीभीत से सियासी रिश्ता टूटने पर वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता के नाम एक भावुक पत्र लिखा है. आइए आपको बताते हैं इस पत्र में उन्‍होंने क्‍या लिखा.

पत्र में लिखीं ये बातें

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वरुण गांधी ने पत्र की शुरुआत पीलीभीतवासियों को प्रणाम के साथ की. इसके बाद लिखा कि  'जब मैं ये पत्र लिख रहा हूं तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है. मुझे वो 3 साल का छोटा बच्‍चा याद आ रहा है जो 1983 में अपनी मां की उंगली पकड़कर पहली बार पीलीभीत आया था. उसे कहां पता था कि एक दिन ये धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे. 

मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला.महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत में मिले आदर्श, सरलता, और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है.आपको प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है.

पत्र में आगे लिखा कि एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता. सांसद के तौर पर नहीं, तो बेटे के तौर पर आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे हमेशा आपके लिए पहले की तरह खुले रहेंगे. मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.उन्होंने पीलीभीत से अपने रिश्ते को सियासी गुणा-भाग से बहुत ऊपर बताया.अंत में लिखा- मैं आपका था, हूं और रहूंगा

सालों से मेनका और वरुण गांधी का गढ़ है पीलीभीत

बता दें कि पीलीभीत 1989 से भाजपा सांसद मेनका और फिर वरुण गांधी का गढ़ रहा है. मेनका गांधी 1991 का चुनाव हार गई थीं, लेकिन इसके बाद उन्‍होंने 1996, 1998, 1999 और 2004 में इस सीट से जीत दर्ज कराई और और 2009 में उन्होंने वरुण गांधी को कमान सौंपी जो बीजेपी के चुनाव चिह्न पर जीते थे. मेनका गांधी ने 2009 में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. 2014 में वो फिर से पीलीभीत लौट आईं और 2019 में वापस सुल्तानपुर चली गईं. बता दें, 1989 के बाद यह पहला चुनाव होगा, जब मेनका गांधी और उनके बेटे पीलीभीत से मैदान में नहीं होंगे. मेनका गांधी को इस बार भी बीजेपी ने सुल्‍तानपुर से टिकट दिया है.