केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री में किसे कितनी मिलती है सैलरी? क्या होता है सबसे बड़ा अंतर?
Prime Minister, Cabinet Ministers Salary: क्या आपको पता है एक लोकसभा सांसद, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री को हर महीने कितनी सैलरी मिलती है?
Prime Minister, Cabinet Ministers Salary: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में 72 सदस्यीय मंत्रिपरिषद ने मंत्री पद की शपथ ले ली है और मंत्रियों को उनका पोर्टफोलियो भी बांटा जा चुका है. वर्तमान में एक सरकार अधिकतम 81 कैबिनेट मंत्री ही बना सकती है. इससे पहले, 2019 से 2024 तक मोदी की पूर्ववर्ती सरकार की मंत्रिमपरिषद में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 78 रही थी. क्या आपको पता है एक लोकसभा सांसद, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री को हर महीने कितनी सैलरी मिलती है?
कैसे चुने जाते हैं कैबिनेट मंत्री?
प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति सविंधान के अनुच्छेट 75 के आधार पर मंत्रिमंडल का गठन करता है. वर्तमान में अधिकतम 81 मंत्री ही बनाए जा सकते हैं. इसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होता है. मोदी 3.0 में फिलहाल 72 मंत्रियों ने मंत्रिपरिषद की शपथ ली है, जिसका मतलब है कि 9 और मंत्री अभी और कैबिनेट का हिस्सा हो सकते हैं.
क्या है तीनों मंत्रियों में अंतर?
कैबिनेट मंत्री
केंद्रीय मंत्रीमंडल में सबसे पहले कैबिनेट मंत्री का नंबर आता है. कैबिनेट मंत्रियों के पास ज्यादा शक्ति होती है. साथ ही इनके पास अपने मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी होती है. सरकार में बड़े मंत्रालय जैसे गृह, विदेश, वित्त, रक्षा, रेलवे जैसे कैबिनेट मंत्री होते हैं. प्रधानमंत्री के अलावा गृह मंत्री, वित्त मंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्युरिटी के सदस्य होते हैं. कैबिनेट मंत्री के पास एक से अधिक मंत्रालय हो सकते हैं. सरकार के प्रमुख फैसले कैबिनेट की बैठक में लिए जाते हैं.
राज्य मंत्री
कैबिनेट के बाद राज्यमंत्री का नंबर आता है. राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री के सहयोगी होते हैं. कैबिनेट मंत्री की गैर मौजूदगी में ये मंत्रालय का कामकाज देखते हैं. एक कैबिनेट मंत्री के साथ एक से अधिक राज्यमंत्री हो सकते हैं. हालांकि, कैबिनेट की बैठकों में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री शामिल नहीं होते हैं.
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को जूनियर मंत्री भी कहा जाता है. ये किसी कैबिनेट मंत्री के सहयोगी नहीं होते लेकिन, इनका दर्जा कैबिनेट मंत्री का भी नहीं होता है. ये सीधे पीएम को रिपोर्ट करते हैं. कौन सा मंत्रालय कैबिनेट, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होगा इसका फैसला प्रधानमंत्री करते हैं.
लोकसभा सांसद और कैबिने मंत्रियों को कितनी मिलती है सैलरी
वैसे तो चुनाव जीतकर आने वाले हर सदस्य को एक तय सैलरी और भत्ते का भुगतान किया जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री और कैबिनेट के सदस्य मंत्रियों को सुविधानुसार कुछ और भत्तों का भुगतान अलग से किया जाता है.
बता दें कि लोकसभा में हर सांसद को 1 लाख रुपये प्रति महीने की बेसिक सैलरी दी जाती है. इसके साथ 70 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता और 60 हजार रुपये ऑफिस खर्च के लिए दिया जाता है. वहीं, जब संसद का सत्र चल रहा होता है, तो 2 हजार रुपये डेली अलाउंस भी दिया जाता है.
वहीं, प्रधानमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को कुछ भत्ते अलग से दिए जाते हैं. इसे सत्कार भत्ता (Sumptuary allowance) भी कहा जाता है. प्रधानमंत्री को 3 हजार रुपये, कैबिनेट मंत्री को 2 हजार, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को 1 हजार और राज्य मंत्री को 600 रुपये का सत्कार भत्ता हर महीने मिलता है.
किसे मिलती है सबसे अधिक सैलरी?
ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को हर महीने दो लाख 33 हजार रुपये की सैलरी मिलती है. जबकि, एक लोकसभा सांसद को हर महीने दो लाख तीस हजार, कैबिनेट मंत्री को दो लाख 32 हजार और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को दो लाख 31 हजार और राज्य मंत्री को दो लाख तीस हजार और छह सौ रुपए मिलते हैं.
अधिकतम कितनी हो सकती है मंत्रियों की संख्या
आपको बता दें आजादी के बाद लागू हुए संविधान में मंत्रिमंडल के मंत्रियों की कोई अधिकतम सीमा नहीं थी. लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में NDA ने संविधान में एक संसोधन किया जिसके बाद से मंत्रिमंडल की अधिकतम संख्या को निर्धारित किया गया है.
संविधान के अनुच्छेद 75 के आर्टिकल 1 क्लॉज 1A के मुताबिक, मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों की संख्या के 15% से ज्यादा नहीं हो सकती है. वर्तमान में लोकसभा में 543 सदस्य हैं, 15% यानी मंत्रिपरिषद में अधिकतम 81 मंत्री हो सकते हैं. इसमें प्रधानमंत्री भी शामिल होता है.