National Logistics Policy: केन्द्र सरकार ने लॉजिस्टिक्स पॉलिसी जारी कर दी है. इसका मकसद माल ढुलाई की प्रक्रिया को आसान बनाना है. बड़ी संख्या में लॉजिस्टिक से जुड़े कारोबारियों को इससे काफी फायदा होगा. लॉजिस्टिक पॉलिसी की समीक्षा के बाद सरकार दूसरे क्षेत्रों को भी इस पॉलिसी के तहत शामिल करना शुरू करेगी. इस पहले सरकार ने गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान जारी किया है. इस पॉलिसी के तहत 5 नए सेक्टर जोड़े जाएंगे.

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2020 के बजट में हुई थी घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 17 सितंबर 2022 को अपने जन्मदिन पर नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी को लॉन्च किया था. इस पॉलिसी से कारोबारों की लॉजिस्टिक लागत मौजूदा 13-14 फीसदी से घटकर एकल अंक में आने का अनुमान है. सरकार ने वर्ष 2020 के बजट में नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी की घोषणा की थी. नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत (Transportation Cost) में कमी लाने से है. लॉजिस्टिक्स कॉस्ट घटाने पर जोर सरकार ने वर्ष 2020 के बजट में घोषणा की थी कि वह नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी लेकर आएगी. सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लॉजिस्टिक लागत को 13-14% के मौजूदा अनुपात से नीचे लगाने पर जोर देती रही है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, लॉजिस्टिक क्षेत्र काफी जटिल है जिसमें 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 भागीदार सरकारी एजेंसियां और 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषद भी शामिल हैं. इसमें 200 जहाजरानी एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक सेवाएं, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो और बैंक एवं बीमा कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं. 160 अरब डॉलर का है लॉजिस्टिक बिजनेस देश भर में 10 हजार से अधिक उत्पादों के लॉजिस्टिक कारोबार का आकार 160 अरब डॉलर है. इस क्षेत्र में 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है. मंत्रालय ने कहा है कि इस क्षेत्र की हालत बेहतर होने से अप्रत्यक्ष लॉजिस्टिक लागत में 10% की कमी आएगी जिससे निर्यात में 5 से 8% की बढ़ोतरी होगी. लॉजिस्टिक क्षेत्र काफी जटिल है जिसमें 20 से अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 भागीदार सरकारी एजेंसियां और 37 निर्यात प्रोत्साहन परिषदें भी शामिल हैं. इसमें 200 जहाजरानी एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक सेवाएं, 129 अंतर्देशीय कंटेनर डिपो और बैंक एवं बीमा कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं. तीन सालों से इस पॉलिसी पर चल रहा था काम केंद्र सरकार बीते तीन साल से नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी पर काम कर रही है. वाणिज्य मंत्रालय ने मसौदा पॉलिसी 2019 में जारी की थी लेकिन कोविड-19 के कारण इसमें विलंब हुआ. बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर इस पॉलिसी की घोषणा की.