जेल में बंद अमृतपाल और इंजीनियर राशिद ने चुनाव तो जीत लिया पर क्या कभी जा पाएंगे संसद? जानिए क्या कहता है कानून
Lok Sabha Election 2024: आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले हैं. ऐसे में क्या जेल में बंद ये दो आरोपी सांसद पद की शपथ ले सकते हैं और दूसरे सामान्य उम्मीदवारों की तरह सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं?
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं, जिसमें NDA गठबंधन बहुमत हासिल करने के बाद सरकार बनाने का दावा पेश करने वाली है. हालांकि, इस बार 18वीं लोकसभा में एक अजीब सी स्थिति पैदा हो गई है. दरअसल, आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो उम्मीदवार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले हैं. ऐसे में क्या जेल में बंद ये दो आरोपी सांसद पद की शपथ ले सकते हैं और दूसरे सामान्य उम्मीदवारों की तरह सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं, इसे लेकर सवाल खड़ा हो गया है. आइए जानते हैं इसे लेकर कानून क्या कहता है?
जेल में बंद इन उम्मीदवारों ने दर्ज की जीत
निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित लोकसभा चुनाव के नतीजों में पंजाब की खडूर साहिब सीट पर कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह ने जीत दर्ज की. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर की बारामूला सीट पर आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपी शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद ने जीत दर्ज की. इंजीनियर राशिद आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में 9 अगस्त 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं. सिंह को अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया था.
क्या कहता है कानून
अब सवाल यह उठता है कि क्या जेल में बंद इन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ लेने की अनुमति दी जाएगी, यदि हां, तो कैसे. इस विषय में शामिल कानूनी पहलुओं को समझाते हुए संविधान विशेषज्ञ और पूर्व लोकसभा महासचिव पी.डी.टी. आचारी ने ऐसे मामलों में संवैधानिक प्रावधानों का पालन करने के महत्व पर बल दिया.
ले सकते हैं सांसद पद की शपथ
उन्होंने कहा कि संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है. आचारी ने कहा कि चूंकि वे फिलहाल जेल में हैं, इसलिए इंजीनियर राशिद और सिंह को शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद तक ले जाने के लिए अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी. उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद उन्हें वापस जेल जाना होगा.
लोकसभा अध्यक्ष को देंगे सूचना
वैधानिक पहलुओं को और स्पष्ट करने के लिए, आचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101(4) का हवाला दिया, जो अध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना संसद के दोनों सदनों से सदस्यों की अनुपस्थिति से संबंधित है. उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद वे लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे, इसके बाद अध्यक्ष उनके अनुरोधों को सदन की अनुपस्थिति संबंधी समिति के पास भेज देंगे.
दोषी पाए जाने पर क्या होगा?
समिति तय करेगी कि सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं. इसके बाद अध्यक्ष सदन में सिफारिश पर मतदान कराएंगे. यदि इंजीनियर राशिद या सिंह को दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल के कारावास की सजा होती है, तो वे 2013 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार लोकसभा में अपनी सीट तुरंत गंवा देंगे.
न्यायालय के फैसले के अनुसार ऐसे मामलों में सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है. इस निर्णय के तहत जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को निरस्त कर दिया गया था, जिसके तहत दोषी सांसदों और विधायकों को अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील करने के लिए तीन महीने का समय दिया जाता था.