ग़ैर बासमती चावल एक्सपोर्ट पर रोक के आदेश में किया गया बदलाव, सिर्फ इन लोगों को होगी एक्सपोर्ट की इजाजत
सरकार ने ग़ैर बासमती चावल एक्सपोर्ट पर रोक के आदेश में बड़ा बदलाव किया है. DGFT के नोटिफिकेशन के अनुसार सशर्त सख्ती के साथ 30 अक्टूबर तक एक्सपोर्ट करने की इजाजत दी गई है.
चावल की लगातार बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पिछले महीने चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन अब सरकार ने ग़ैर बासमती चावल एक्सपोर्ट पर रोक के आदेश में बड़ा बदलाव किया है. DGFT ने इसको लेकर नोटीफिकेशन जारी किया है. इस नोटिफिकेशन के अनुसार सशर्त सख्ती के साथ कुछ विशेष परिस्थितियों में 30 अक्टूबर तक एक्सपोर्ट करने की इजाजत दी गई है.
इन स्थितियों में मिलेगी एक्सपोर्ट की इजाजत
अपने आदेश में संशोधन जारी करते हुए सरकार ने कहा है कि अगर 20 जुलाई को रात 9:57:01 बजे तक कस्टम क्लियरेंस हो चुकी थी, Consignment हैंडओवर किया जा चुके थे, बिल आदि के भुगतान की रसीद दे दी गई थी और उनके लिए एक्सपोर्ट ड्यूटी का भुगतान किया जा चुका था, तो इन स्थितियों में एक्सपोर्ट की इजाजत 30 अक्टूबर तक दी जा सकती है. बता दें कि सरकार ने ग़ैर बासमती चावल एक्सपोर्ट पर 20 जुलाई को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. इसमें कहा गया था कि बिना सरकार की इजाजत के एक्सपोर्ट नहीं हो सकेगा.
बता दें कि घरेलू बाजार में चावल के दाम में बढ़ोतरी का रुझान बना हुआ है. खुदरा बाजार में कीमतों में एक साल पहले के मुकाबले 11.5% और पिछले माह के मुकाबले 3% की बढ़ोतरी हुई है. घरेलू बाजार में कीमतें कम करने और पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 8 सितंबर 2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20% निर्यात शुल्क लगाया गया था. हालांकि, 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाये जाने के बावजूद इस किस्म के चावल का निर्यात 33.66 लाख मीट्रिक टन (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 लाख मीट्रिक टन (सितंबर- मार्च 2022- 23) तक पहुंच गया.
चालू वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से जून की अवधि में इस किस्म के 15.54 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात किया गया जबकि वित्त वर्ष 2022-23 की इसी अवधि (अप्रैल- जून) के दौरान केवल 11.55 लाख मीट्रिक टन चावल का निर्यात हुआ था, यानी 35% बढ़ोतरी. निर्यात में तेज बढ़ोतरी के लिये जियो-पॉलिटिकल आउटलुक, अल-नीनो (El-Nino) धारणा और दुनिया के चावल उत्पादक देशों में कठिन जलवायु परिस्थितियां आदि जिम्मेदार हैं.
देश के कुल चावल निर्यात में गैर-बासमती सफेद चावल का 25% योगदान होता है. गैर-बासमती सफेद चावल (Non Basmati White Rice) के निर्यात को प्रतिबंधित करने से देश में उपभोक्ताओं के लिये इसके दाम कम होंगे.
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