Sovereign Green Bonds: देश में ग्रीन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को बढ़ावा देने और अर्थव्‍यवस्‍था की कार्बन इंटेंसिटी को कम करने के मकसद से चालू वित्‍त वर्ष 2022-23 में 16,000 करोड़ के सॉवरेन ग्रीन बॉन्‍ड (SGB) जारी किए गए. केंद्रीय वित्‍त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. यह बॉन्‍ड दो चरण में जारी किए गए. दरअसल, ग्रीन बॉन्ड एक तरह से फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं, जिनका इस्तेमाल पर्यावरण को सपोर्ट करने और क्लाइमेट संबंधी प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाता है. 

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लोकसभा सांसद डॉ. संजय जायसवाल की ओर से पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में वित्‍त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी कहा कि सरकार ने यह ग्रीन इंफ्रा बॉन्‍ड 8000-8000 करोड़ के दो चरण में जारी किए गए. पहला चरण 25 जनवरी 2023 और दूसरा 9 फरवरी 2023 को जारी किया गया था. केंद्र सरकार की ओर से 9 नवंबर 2022 को जारी किए गए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड का फ्रेमवर्क आधार पर यह बॉन्‍ड जारी किए गए. बॉन्‍ड के जरिए जुटाई गई रकम का इस्‍तेमाल पब्लिक सेक्‍टर के प्रोजेक्‍ट्स जिनका फोकस ग्रीन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर जैसेकि क्‍लीन ट्रांसपोर्टेशन, रिन्‍युएबल एनर्जी और सस्‍टेनेबल वाटर मैनेजमेंट पर होगा. 

ग्रीन बॉन्ड क्‍या होते हैं?

ग्रीन बॉन्‍ड का उपयोग सरकार ऐसे फाइनेंशियल प्रोजेक्‍ट्स में करती है जिसका पर्यावरण पर एक सकारात्मक असर पड़ता है. ग्रीन बॉन्ड को यूरोपीय निवेश बैंक और वर्ल्ड बैंक ने 2007 में लॉन्च किया था. ग्रीन बॉन्ड एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो ग्रीन प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाने में मदद करता है.

इन बॉन्ड से मिली रकम सार्वजनिक क्षेत्र के उन प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा, जिससे इकॉनमी की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद मिलती हो. ग्रीन बॉन्ड 9 व्यापक श्रेणियों में शामिल है. इनमें से कुछ रिन्‍युएबल एनर्जी, एनर्जी एफिशिएंसी, क्‍लीन ट्रांसपोर्टेशन, ग्रीन बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स हैं. सरकार का लक्ष्य इन बॉन्ड्स के जरिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने का है. ये बॉन्ड लम्बे और डोमिनेटिंग होते है. एसेट लिंक होने की वजह से सरकार को इन बॉन्ड्स से पैसा जुटाना आसान हो जाता है.  

 

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