भारत में व्हिस्की (Whisky) की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है. साल 2020 में स्कॉच के 9 लीटर के करीब 1.39 लाख केस बिके थे, जो 2021 तक बढ़कर 2.19 लाख हो गए. वहीं साल 2022 में स्कॉच के करीब 2.96 लाख केस बिके हैं. तेजी से बढ़ती इस डिमांड को देखते हुए फूड रेगुलेटर ने इस पर निगरानी बढ़ा दी है. अब फूड रेगुलेटर (Food Regular) ने सिंगल माल्ट व्हिस्की (Single Malt Whisky) और सिंगल ग्रेन व्हिस्की (Single Grain Whisky) की नई परिभाषा तय की है.

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Confederation of Indian Alcoholic Beverage Companies (CIABC) ने सिंगल माल्ट व्हिस्की के नाम पर दूसरी व्हिस्की बेचे जाने के खिलाफ अहम कदम उठाया है. ऐसे में अब FSSAI ने इसे लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया है और कहा है कि सिंगल माल्ट व्हिस्की के नाम पर कुछ भी बेचने की इजाजत नहीं है. CIABC का मानना है कि नई परिभाषा से इस इंडस्ट्री को एक नई पहचान मिलेगी. 

क्या है सिंगल माल्ट व्हिस्की की नई परिभाषा?

फूड रेगुलेटर ने जो नई परिभाषा बताई है, वह 1 मार्च से लागू होगी. नई परिभाषा के अनुसार सिंगल माल्ट व्हिस्की वह होगी, जिसे सिर्फ माल्ट बार्ले से बनाया गया हो.  साथ ही उसे एक स्टिल पॉट में बनाया गया होना चाहिए. इतना ही नहीं, यह भी जरूरी है कि वह एक ही डिस्टिलरी में बनाई गई हो. 

किसे कहेंगे सिंगल ग्रेन व्हिस्की?

वहीं दूसरी ओर सिंगल ग्रेन व्हिस्की वह होगी, जिसे सिर्फ 1 ही ग्रेन से बनाया गया होगा. इसके अलावा इसका भी एक ही स्टिल पॉट में बनाया जाना जरूरी है, तभी यह नई परिभाषा पर खरी उतरेगी. इतना ही नहीं, सिंगल ग्रेन व्हिस्की का एक ही डिस्टिलरी में बनाया जाना भी जरूरी है.

लेबल पर नहीं होगी न्यूट्रिशन की जानकारी

नए नियम-कायदों के अनुसार लेबल पर न्यूट्रिशन से जुड़ी कोई भी जानकारी नहीं दी जाएगी. वहीं अगर कंपनी चाहे तो एनर्जी की जानकारी दे सकती है. फूड रेगुलेटर समय-समय पर कुछ सख्त कदम उठाता रहता है और यह कदम भी कुछ वैसा ही है. मौजूदा वक्त में बाजार में सिंगल माल्ट व्हिस्की के नाम पर कई जगह ब्लेंडेड व्हिस्की भी बेची जा रही थी. नए नियमों से ऐसा करने वालों को बड़ी दिक्कत होगी.